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जब रांची में नगर बस सकता है तो जमशेदपुर में मालिकाना क्यों नहीं

जमशेदपुर : सरकार चाहे तो बस्तियों को मालिकाना हक दे सकती है. इसके लिए सरकार की ओर से एक कानून बनाना होगा, जिसके बाद जमशेदपुर की बस्तियों के लोगों को मालिकाना हक मिल सकता है. जब रांची में लोगों के लिए मकान और एक नगर ही बसाने का प्रस्ताव कैबिनेट से पास हो गया तो […]

जमशेदपुर : सरकार चाहे तो बस्तियों को मालिकाना हक दे सकती है. इसके लिए सरकार की ओर से एक कानून बनाना होगा, जिसके बाद जमशेदपुर की बस्तियों के लोगों को मालिकाना हक मिल सकता है. जब रांची में लोगों के लिए मकान और एक नगर ही बसाने का प्रस्ताव कैबिनेट से पास हो गया तो जमशेदपुर में मालिकाना हक का भी मसला पास हो सकता है, जिससे यहां के लोगों को हक और अधिकार मिल सके. यह बातें राज्य के मंत्री और जमशेदपुर पश्चिम के विधायक सरयू राय ने कहीं. श्री राय सर्किट हाउस में पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत कर रहे थे.

गरीबों को मिलेगी धोती-साड़ी: मंत्री सरयू राय ने कहा कि गरीबों को राज्य में धोती साड़ी मिलने का प्रावधान पूर्ववर्ती सरकार का था. फंड के अभाव में इसको बंद करना पड़ा. लेकिन हमने सरकार को इसके लिए पत्र दिया है कि हम लोग साल में एक बार लोगों को कपड़ा तो दें क्योंकि यह जरूरी है. गरीब राज्य में गरीबी है और ऐसे में गरीबों को धोती और साड़ी दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार अगर फंड रिलीज कर देगी तो सबको धोती और साड़ी जरूर दिया जायेगा.
सरयू राय ने कहा, कैबिनेट में लाया जाये प्रस्ताव
सरयू राय ने कहा कि नयी रांची बनाने के लिए कई लोग विस्थापित हो रहे थे. वहां के विधायक और मंत्री सीपी सिंह ने बेहतर काम किया और करीब 900 करोड़ रुपये की लागत से एक नया नगर ही बस रहा है, जहां विस्थापितों की कॉलोनी बनेगी और उनको शिफ्ट कर बसाया जायेगा. इसको कैबिनेट से मंजूरी भी मिल चुकी है. ऐसा ही प्रस्ताव मालिकाना हक को लेकर भी कैबिनेट में लाया जा सकता है, जिसको पास कराकर कानून देकर सबको अधिकार दिया जा सकता है. मंत्री ने कहा कि वे जब विधायक थे तब विधानसभा में मालिकाना हक को लेकर 2009 में अपना निजी विधेयक पेश किया था. इस विधेयक के तहत ही यह कहा गया था कि कैसे मालिकाना हक मिल सकता है. इसकी ओर आगे बढ़कर बस्तियों को मालिकाना हक देना ही चाहिए.

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