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स्टेज डांसर से रुपहले पर्दे तक का सफर

जमशेदपुर: 28 वर्षीय करनडीह बोदराटोला निवासी विनोद बास्के ने अपनी मेहनत व लगन के बदौलत संताली व क्षेत्रीय फिल्मों में पहचान बनायी है. गांव के साधारण स्टेज डांसर से लेकर सिने अभिनेता का सफर जिद व निरंतर संघर्ष के बदौलत तय किया है. विश्व कवि रविंद्रनाथ टैगोर की कविता-जोदि तोर डाक सुने केऊ ना आसे […]

जमशेदपुर: 28 वर्षीय करनडीह बोदराटोला निवासी विनोद बास्के ने अपनी मेहनत व लगन के बदौलत संताली व क्षेत्रीय फिल्मों में पहचान बनायी है. गांव के साधारण स्टेज डांसर से लेकर सिने अभिनेता का सफर जिद व निरंतर संघर्ष के बदौलत तय किया है. विश्व कवि रविंद्रनाथ टैगोर की कविता-जोदि तोर डाक सुने केऊ ना आसे तोबे एकला चोलो रे.. ने हमेशा उनको आगे बढ़ते रहने के लिए प्रेरित किया.

फिल्म बनाना है सपना. विनोद बताते हैं कि उनका सपना है कि वे अपने मातृभाषा संताली में फिल्म बनाये. उनकी यह इच्छा भी जल्द पूरा होने को है. वे फिल्म के लिए स्क्रिप्ट का चयन कर चुके हैं. कलाकारों का चयन का चयन होते हुए शूटिंग शुरू की जायेगी.

संभवत: इसी साल दिसंबर तक फिल्म रिलीज भी कर दी जायेगी. उसने अपने प्रोडक्शन तले ईञ मोने आम रे, जीवोन रे समेत एलबमों में काम किया है. माटी का मोल डॉक्यूमेंट्री फिल्म में भी काम किया है. विनोद टाटा मोटर्स के कर्मचारी भी हैं. उसने काम के बोझ के बदौलत अपने अंदर के कलाकार को कभी मरने नहीं दिया. नौकरी व कलाकार के बीच उसने बेहतर तालमेल बनाया. छुट्टी के दिन वे फिल्म व एलबम की शूटिंग में व्यस्त रहते हैं. या फिर फिल्म प्रोजेक्ट के सारे कामों को निबटाते हैं. टीवी पर डांस देख सीखी बारीकी. विनोद ने कभी डांस का कोई प्रशिक्षण नहीं लिया है. टीवी पर डांस देखकर उसकी बारीकियों को सीखा है. वर्तमान में वे एक कोरियोग्राफर, डांसर, निर्माता व निर्देशक के रूप में भी जाने जाते हैं.

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