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एक्सएलआरआइ : बांग्लादेश में ग्रामीण बैंक के प्रणेता व नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ मो यूनुस ने कहा, नया करने के लिए बनाने होंगे नये रास्ते

जमशेदपुर: नयी चीजों को शुरू करने में देश का सिस्टम व पूर्व में काम कर रहे लोग बाधा उत्पन्न करते हैं. लेकिन नयी चीज शुरू करने के लिए नये रास्ते बनाने ही होंगे, तभी सफल हो सकते हैं. उक्त बातें सोमवार को एक्सएलआरआइ में बांग्लादेश में ग्रामीण बैंक के प्रणेता व 2006 में शांति के […]

जमशेदपुर: नयी चीजों को शुरू करने में देश का सिस्टम व पूर्व में काम कर रहे लोग बाधा उत्पन्न करते हैं. लेकिन नयी चीज शुरू करने के लिए नये रास्ते बनाने ही होंगे, तभी सफल हो सकते हैं. उक्त बातें सोमवार को एक्सएलआरआइ में बांग्लादेश में ग्रामीण बैंक के प्रणेता व 2006 में शांति के लिए नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ मो यूनुस ने कहीं. उन्होंने कहा कि ग्रामीण बैंक की शुरुआत की तो शुरू में काफी कठिनाई हुई. एक वेंचर शुरू करने में 2 साल लग गये. लोगों में विश्वास नहीं था. लेकिन पूर्व में जो सिस्टम काम कर रहा था, वह बेहतर नहीं था. इसके बाद धीरे-धीरे लोगों के बीच ग्रामीण बैंक की शुरुआत हुई अौर करोड़ों लोग इससे जुड़ते चले गये अौर अब यह दुनिया भर में पसंद किया जा रहा है.
जॉब कर आप खुद को हर दिन दूसरे का विकास के लिए मदद कर रहे लेकिन अपना नुकसान कर रहे हैं. मो. यूनुस के अनुसार हमारे पूर्वज कभी जॉब नहीं करते थे. वे खुद पर विश्वास करते थे. हाल के दिनों में जॉब का क्रेज बढ़ा है, लेकिन यह हमारी क्रिएटिविटी पर बुरा असर डाल रहा है. हम किसी के गुलाम बनकर रह जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमें जॉब के बजाय उद्यम शुरू करने पर विश्वास करना चाहिए. कई लोग कहते हैं कि उनके पास पैसे नहीं हैं, पढ़े लिखे नहीं हैं लेकिन दुनिया में लाखों ऐसे उदाहरण हैं जिनके पास पैसे नहीं थे, लेकिन आज वे बिजनेस के क्षेत्र के रोल मॉडल बने हैं.
अग्ली वेजिटेबल ने दुनिया के 60 फीसदी फ्रेंच फ्राइ बिजनेस पर जमाया कब्जा. मो यूनुस एक उदाहरण दिया, जिसमें कहा कि कोलंबिया के मैके कॉफी का बिजनेस करते थे. लेकिन किसी कारण से उनका यह बिजनेस नहीं चल पा रहा था. इसके बाद उन्होंने मो युनुस से मुलाकात की. कोई नया बिजनेस शुरू करने पर चर्चा हुई. तब मो यूनुस ने कहा कि यूरोप में दुनिया का सबसे ज्यादा आलू की पैदावर होती है.
लेकिन उसमें करीब 26 फीसदी आलू का उपयोग नहीं हो पाता है, क्योंकि जिस मशीन से खेतों से आलू को निकाला जाता है वह काफी बड़ी होती है. जिसके कारण छह फीसदी आलू खेतों में ही पड़ा रहता है अौर 20 फीसदी आलू का सही आकार नहीं होता है. इससे लोग उसे नहीं खरीदते. इसके बाद दोनों ने इसी 26 फीसदी आलू को सस्ते दरों पर खरीदना शुरू किया. इसमें जो आलू खराब आकार के होते थे उसका सूप बना कर बेचना शुरू किया अौर जिसका आकार ठीक होता था, उसका फ्रेंच फ्राइ बनता अौर इस प्रकार मैके ने पूरी दुनिया के 60 फीसदी फ्रेंच फ्राइ बिजनेस पर कब्जा जमा लिया.
बिजनेस स्कूल में सिर्फ ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाना सिखाया जाता है
मो युनुस ने कहा कि बिजनेस स्कूल में विद्यार्थियों को अधिक से अधिक पैसे कमाना ही सिखाया जाता है. इससे भी काफी समस्याएं पैदा हो रही हैं. उन्होंने बिजनेस स्कूल के कोर्स पर भी टिप्पणी की अौर कहा कि कोर्स को इस प्रकार से डिजाइन किया जाये, जिसमें सामाजिक सुधारों के साथ ही सामाजिक विकास पर भी बात हो. इसके बाद एक्सएलआरआइ के डीन आशीष पाणी ने बताया कि एक्सएलआरआइ में पिछले 5-6 साल से सामाजिक उद्यम की दिशा में बेहतरीन प्रयास शुरू किया गया है. जिसका असर दिख भी रहा है. कई विद्यार्थी इस दिशा में काम करने की बात उन्होंने कही.
डॉ मो यूनुस के बोल
  • गरीबी कभी गरीब लोगों द्वारा नहीं, बल्कि सिस्टम द्वारा क्रिएट किया जाता है
  • सिस्टम में ही गरीबी का बीजारोपण किया जाता है, जिसे हम पठन-पाठन के दौरान सीख जाते हैं
  • नयी चीज को करने के लिए सबसे बाधक है हमारा सिस्टम
  • गरीबी, बेरोजगारी व पर्यावरण संकट दूर करना ही है सही मायने में उद्यमशीलता
  • बांग्लादेश में नाइट ब्लाइंडनेस अब नहीं दिखता
  • क्रिएट बिजनेस टू सॉल्व द प्रॉब्लम
  • चैरिटी वन वे ट्रैफिक है, इससे किसी समस्या का स्थायी निदान नहीं हो सकता है
  • यह जरूरी नहीं है कि जो चीज किताब में लिखी हो, वह कर आप सफल हो सकते हैं अौर किताब से बाहर की चीज फालतू है
  • किसी भी बिजनेस को शुरू करने का उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा प्रॉब्लम सॉल्विंग होना
  • कैपटलिस्ट का सिर्फ एक ही बिजनेस होता है, ज्यादा पैसे कमाना
  • मिडिल मैन खा रहे हैं किसानों का हक, इसलिए किसान कर रहे हैं आत्महत्या
  • किसी भी इनसान के जीवन का सबसे बेस्ट स्कूल मां है
  • दुनिया के एक फीसदी लोगों के पास दुनिया के 99 फीसदी लोगों का है धन
  • आप ह्यूमन हिस्ट्री के सबसे बेहतर दौर में जी रहे हैं

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