इस बात की पुष्टी करते हुए संस्थान के रजिस्ट्रार (बीओजी के सदस्य) प्रो एमके अग्रवाल ने बताया कि उक्त मामले में विचार व बहस के बाद निर्णय के लिए बैठक के मिनट्स को मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) व बोर्ड के सदस्यों को भेजा गया. अभी निर्णय लंबित है. नये नियम के अनुसार एमएचआरडी द्वारा बीओजी की बैठक के मिनट्स पर अंतिम मुहर लगाने के बाद ही निर्णय को प्रकाशित किया जायेगा. पहले बैठक के 21 दिनों में प्रकाशित होता था.
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एनआइटी: बीओजी की बैठक में सीबीआइ व भट्ट कमेटी की रिपोर्ट रखी गयी, प्रोन्नति पर बीओजी लेगा निर्णय
आदित्यपुर: एनआइटी जमशेदपुर की कैरियर एडवांसमेंट स्कीम (कैस) के तहत 70 शिक्षकों को वर्ष 2011 में प्रोन्नति दिये जाने से संबंधित जांच की रिपोर्ट संस्थान के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स (बीओजी) की 29वीं बैठक में रखी गयी. नई दिल्ली में हुई इस बैठक में प्रोन्नति घोटाले की सीबीआइ रिपोर्ट व उस रिपोर्ट की जांच के लिए […]
आदित्यपुर: एनआइटी जमशेदपुर की कैरियर एडवांसमेंट स्कीम (कैस) के तहत 70 शिक्षकों को वर्ष 2011 में प्रोन्नति दिये जाने से संबंधित जांच की रिपोर्ट संस्थान के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स (बीओजी) की 29वीं बैठक में रखी गयी. नई दिल्ली में हुई इस बैठक में प्रोन्नति घोटाले की सीबीआइ रिपोर्ट व उस रिपोर्ट की जांच के लिए गठित भट्ट कमेटी की रिपोर्ट रखी गयी.
भट्ट कमेटी ने रिपोर्ट को गलत बताया
सूत्र बताते हैं कि सीबीआइ ने जांच में पाये गये दोषी लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं कर उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए अपनी अनुशंसा विभाग को भेज दी. विभाग ने इसे संस्थान को भेज दिया. संस्थान प्रबंधन ने सीबीआइ की रिपोर्ट की ही जांच के लिए भट्ट कमेटी का गठन किया. खुद ऐसे ही प्रोन्नति व नियुक्ति में भ्रष्टाचार के मामले में फंसे एनआइटी जयपुर के तत्कालीन निदेशक आइके भट्ट की अध्यक्षता में बनी उक्त कमेटी ने सीबीआइ की रिपोर्ट को ही गलत करार देते हुए इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं करने की सिफारिश की.
तीन सांसदों ने लिखा था पत्र
एनआइटी जमशेदपुर में सीबीआइ की रिपोर्ट पर कार्रवाई के लिए तीन सांसदों के अलावा विभाग के उच्च शिक्षा राज्य मंत्री ने विभाग के मंत्री को पत्र लिखा था. सांसद विद्युत वरण महतो, लक्ष्मण गिलुवा व प्रदीप कुमार बलमुचू की मांग भी धरी रह गयी और तीन साल बीत जाने पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गयी.
सीबीआइ ने तीन साल पहले सौंपी थी रिपोर्ट
संस्थान के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सीबीआइ द्वारा प्रोन्नति घोटाले की बात स्वीकार करते हुए तीन साल पहले दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की तीन अनुशंसा के साथ अपनी जांच रिपोर्ट एमएचआरडी के चीफ विजिलेंस ऑफिसर (सीवीओ) को सौंप दी थी. रिपोर्ट में सभी प्रोन्नति रद्द कर फिर से प्रक्रिया अपनाने, पांच अधिकारियों के खिलाफ मेजर पेनाल्टी व तीन के खिलाफ माइनर पेनाल्टी लगाने की सिफारिश की गयी थी. सीबीआइ द्वारा उक्त मामले में कार्रवाई के लिए 6 बार रिमाइंडर भी एमएचआरडी को भेजा गया. दूसरी ओर एमएचआरडी ने भी संस्थान को सीबीआइ की रिपोर्ट लागू करने के लिए तीन सालों में 30 बार रिमाइंडर भेजा.
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