जमशेदपुर : साहित्य अकादमी नयी दिल्ली का ‘बाल साहित्य पुरस्कार-2017’ का पुरस्कार पाने वाली जोबा मुर्मू ने बताया कि उसे उनके पिताजी सीआर मांझी से प्रेरणा मिली. वह हमेशा अपने पिताजी को साहित्य का सृजन कार्यों में व्यस्त रहते देखती रही हैं, तभी से उन्हें भी लगा कि उसे भी साहित्य का सृजन करना चाहिए. […]
जमशेदपुर : साहित्य अकादमी नयी दिल्ली का ‘बाल साहित्य पुरस्कार-2017’ का पुरस्कार पाने वाली जोबा मुर्मू ने बताया कि उसे उनके पिताजी सीआर मांझी से प्रेरणा मिली. वह हमेशा अपने पिताजी को साहित्य का सृजन कार्यों में व्यस्त रहते देखती रही हैं, तभी से उन्हें भी लगा कि उसे भी साहित्य का सृजन करना चाहिए.
उसने कहानी व कविता लिखना शुरू किया. शादी के बाद भी पति पीतांबर हांसदा ने साहित्य सृजन को प्रोत्साहित किया. इससे उनका हौसला बढ़ा. इस तरह वह वर्तमान समय तक साहित्य सृजन कार्य में लगी हुई हैं. जोबा मुर्मू करीब वर्ष 2000 से लगातार साहित्य सृजन का कार्य कर रही हैं. उसने काव्य संग्रह – ‘बाहा उमूल’, लघु कहानी – ‘बेवरा’, कहानी – ‘प्रेमचंद आ सोरेस कहानी’, गीतांजलि का हिंदी अनुवाद पुस्तक ‘सेरेञांजलि’ आदि प्रमुख हैं. महिला आधारित एक कहानी पुस्तक
‘तिरला’ जल्द ही प्रकाशित होने वाली है. जोबा मुर्मू ने स्कूली शिक्षा परसुडीह क्षेत्र के सरजामदा स्थित बिरसा मेमोरियल स्कूल से प्राप्त की है. इंटर व स्नातक की पढ़ाई करनडीह स्थित लाल बहादुर शास्त्री कॉलेज से की. उन्होंने हिंदी व संताली में एमए की पढ़ाई की है. उसके बाद को-ऑपरेटिव कॉलेज जमशेदपुर से एलएलबी की पढ़ाई की है.
पति पीतांबर हांसदा बाल साहित्य पुरस्कार से हो चुके हैं पुरस्कृत : जोबा मुर्मू के पति पीतांबर हांसदा वर्ष 2012 में ‘जीव जियाली कोवा : गिदरा’ कहानी को बाल साहित्य पुरस्कार से पुरस्कृत किया जा चुका है.
कई सामाजिक व साहित्यिक संस्थाओं से जुड़ीं हैं जोबा
जोबा मुर्मू कई आदिवासी सामाजिक व साहित्यिक संस्थाओं से जुड़ीं हैं. वे आॅल इंडिया संताली राइटर्स एसोसिएशन की लाइफ मेंबर है. वहीं संताली राइर्ट्स एसोसिएशन झारखंड यूनिट की सलाहकार, करनडीह दिशोम जाहेरथान कमेटी – सदस्य, ऑल इंडिया संताली फिल्म एसोसिएशन सदस्य व ऑल इंडिया सताल सेमलेद झाड़ग्राम बेतकुंदरी डाही की सदस्य हैं. इसके अलावा भी कई सामाजिक संस्थाओं की सलाहकार मंडली में शामिल हैं. वे समाजसेवी सीआर माझी की बड़ी बेटी हैं. उनके भाई रवींद्रनाथ मुर्मू व ताला टुडू भी साहित्य अकादमी द्वारा अनुवाद पुरस्कार से पुरस्कृत हो चुके हैं. उनका पूरा परिवार साहित्य सृजन कार्य से जुड़ा है.