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होमलोन देने में बैंक कर रहे भेदभाव, 12 साल की जमीन का मांगा जा रहा रिकॉर्ड

जमशेदपुर : होम लोन देने के लिए बैंकों ने जमीन के सीएनटी एक्ट को लेकर अलग-अलग पैमाना तय किया है. इसके तहत बैंक होम लोने देने से पहले आम लोगों से जमीन के 30 साल तक के रिकॉर्ड की जांच कर रहे हैं. 30 सालों में जमीन अगर कभी बिकी हो तो उसमें सीएनटी एक्ट […]

जमशेदपुर : होम लोन देने के लिए बैंकों ने जमीन के सीएनटी एक्ट को लेकर अलग-अलग पैमाना तय किया है. इसके तहत बैंक होम लोने देने से पहले आम लोगों से जमीन के 30 साल तक के रिकॉर्ड की जांच कर रहे हैं. 30 सालों में जमीन अगर कभी बिकी हो तो उसमें सीएनटी एक्ट के दायरे में आने वाली जातियों के लोगों के नाम जमीन नहीं होनी चाहिए. अगर ऐसा होगा तो उस जमीन पर लोन नहीं मिलेगा. हालांकि टाटा से जुड़ी कंपनी या केंद्र व राज्य सरकार के कर्मचारी या अधिकारी को होम लोन लेने में ऐसी ही जमीन का 12 साल का रिकॉर्ड देखा जा रहा है.

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने लोन देने संबंधी यह नियम लागू किया है. वहीं बैंक ऑफ इंडिया सीएनटी एक्ट के अधीन जमीन पर भी लोन रहा है, बशर्ते कर्मचारी टाटा ग्रुप या केंद्र सरकार या सरकारी उपक्रमों का कर्मचारी या अधिकारी हो. ऐसे कर्मचारियों को बिना जमीन का रिकॉर्ड देखे भी होम लोन इस शर्त के साथ दिया जायेगा कि अगर जमीन की रिकवरी नहीं हुई तो किसी और स्रोत से भी पैसे की रिकवरी बैंक कर सकता है.

30 साल का रिकॉर्ड देख कर ही लोन
हम लोन देने के लिए जमीन के 30 साल का सीएनटी का रिकॉर्ड देख रहे हैं. हेड ऑफिस से ऐसा निर्देश है. -रामेश्वर रजक, चीफ मैनेजर, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया
टाटा ग्रुप से जुड़े या सरकारी कर्मचारियों की जमीन पर लोन देने के लिए 12 साल का रिकॉर्ड, अन्य लोगों का 30 साल का रिकॉर्ड देखा जा रहा है.
-आरके वर्मा, एजीएम, एसबीआइ
हमलोग पैसे की रिकवरी की गारंटी चाहते हैं. रिकवरी की स्थिति देख कर सीएनटी की जमीन पर लोन दे रहे हैं.
– विपिन कुमार, एजीएम, बैंक ऑफ इंडिया

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