जमशेदपुर : जुगसलाई स्थित मसजिद- ए- नबी बख्श मसजिद छत्ता मसजिद के नाम से मशहूर है. इसके तीन मंजिला इमारत के जमीनी तल्ले का व्यापारिक उपयोग हाेता है. नमाजियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए मसजिद के ऊपरी तल पर दो कमरे को तोड़कर मसजिद के सफों में जोड़ा गया है. वजू खाना में मार्बल, […]
जमशेदपुर : जुगसलाई स्थित मसजिद- ए- नबी बख्श मसजिद छत्ता मसजिद के नाम से मशहूर है. इसके तीन मंजिला इमारत के जमीनी तल्ले का व्यापारिक उपयोग हाेता है. नमाजियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए मसजिद के ऊपरी तल पर दो कमरे को तोड़कर मसजिद के सफों में जोड़ा गया है. वजू खाना में मार्बल, टाइल्स आदि लगाये गये हैं.
छत्ता मसजिद के संस्थापक हाजी मरहूम मो साबीर थे. मरहूम नबी बख्श मसजिद की जमीन और भवन दान करने वाले हाजी माेहम्मद मरहूम साबीर चक्कीवाले के वालिद मोहतरम का नाम है. मसजिद कमेटी के पुराने लोगों ने बताया कि स्थापना काल के बाद हाजी मरहूम अब्दुल हकीम की देखरेख में मसजिद की तामीर करायी गयी. प्रथम तल्ले को मसजिद की जमीन वक्फ करने वाले ने खुद तामीर करायी, जबकि अन्य तामीरी काम 1995 के बाद नमाजी और जन सहयोग से किया गया. मसजिद में 18 सफें हैं, 500 से अधिक लोग नमाजे जुमा अदा करते हैं. पंजगणा नमाज के अलावा इमामत मौलाना माेहम्मद इरशाद करते हैं. मसजिद में हम्जा खान तरावीह पढ़ा रहे हैं.
नन्हा रोजेदार
जुगसलाई पटना कॉलाेनी निवासी माेहम्मद इकबाल के चार साल के पुत्र अतिक इकबाल ने रमजान माह में अपना पहला राेजा रखा. अतिक स्मार्ट किड्स इंग्लिश स्कूल जुगसलाई में एलकेजी का छात्र है. अतिक पढ़ाई में काफी अच्छा है. वह माता-पिता व शिक्षकाें की बाताें काे काफी गंभीरता से लेता है.
रमजान में एतेकाफ की बेपनाह फजीलतें
रमजानुल मुबारक की इबादतों मेें से एक अहम इबादत एतेकाफ है. अल्लाह के रसूल पैगंबर मोहम्मद सअ. का फरमान है कि जो इनसान एक दिन का एतेकाफ करता है उसके और जहन्नम के दरम्यिां तीन खंदकें आड़ फरमा देती है. एक खंदक की मुसाफत जमीन और आसमान की चौड़ाई है, तो दस दिनों की एतेकाफ की फजीलत क्या होगी, खुद सोच सकते हैं.
मौलाना मो इरशाद, खतीब व पेश ए इमाम, नबी बख्श मसजिद जुगसलाई