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मैकेनिकल इंजीनियर बनना चाहती है इंटर साइंस की सेकंड स्टेट टॉपर रितिका

इंटर साइंस कॉलेज हजारीबाग की छात्रा रितिका कुमारी जैक इंटर विज्ञान संकाय में झारखंड में दूसरा स्थान प्राप्त की है.

जमालउद्दीन, हजारीबाग

इंटर साइंस कॉलेज हजारीबाग की छात्रा रितिका कुमारी जैक इंटर विज्ञान संकाय में झारखंड में दूसरा स्थान प्राप्त की है. रितिका को 482 अंक, भौतिकी में 97 अंक, रसायन शास्त्र में 93 अंक, गणित में 98 अंक, कंप्यूटर साइंस में 96 अंक, इएनए में 98 अंक मिले हैं. झारखंड टॉप 10 में दूसरा स्थान रितिका को मिलते ही इंटर साइंस कॉलेज के शिक्षक, विद्यार्थियों ने खुशी व्यक्त की. रितिका ने बताया कि जी एडवांस परीक्षा दूंगी. इसमें सफल होकर मैकेनिकल इंजीनियर बनूंगी. बचपन से आविष्कार और नये-नये काम करने का शौक है. परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. पिता की स्थायी नौकरी नहीं है. प्रिंटिंग प्रेस में काम करते हैं. इसलिए मैकेनिकल इंजीनियर बनकर पूरे परिवार को हर क्षेत्र में मजबूत बनाना चाहती हूं.

टीवी, मोबाइल देखने का शौक नहीं

: रितिका कुमारी ने बताया कि मुझे बचपन से ही टीवी, मोबाइल देखने का शौक नहीं है. क्योंकि फालतू चीज देखकर समय बर्बाद नहीं करना चाहती थी. मैट्रिक पास अपने गांव के फ्लोरेंसस एकेडमी हाई स्कूल सुल्ताना से की थी. मैट्रिक में 480 अंक लाकर अपने प्रखंड में टॉपर बनी थी. इसके बाद विज्ञान की पढ़ाई के लिए हजारीबाग के सर्वश्रेष्ठ कॉलेज इंटर साइंस कॉलेज में पढ़ने का सपना पूरा हुआ. कॉलेज की पढ़ाई के बाद घर में जो भी समय मिलता था सिर्फ पढ़ाई करती थी. बैटमिंटन खेलने का शौक था. लेकिन परिस्थिति और साधन मेरे पास नहीं था, इसलिए बैटमिंटन नहीं खेल पाती थी. रितिका ने बताया कि मैं साधारण परिवार से हूं. मैं जब से मैट्रिक में प्रखंड टॉप किया मेरी मां पिंकी देवी हमेशा दिल से दुआ देती थी. परीक्षा देने जब कॉलेज जाती थी तो मां मुझे छूकर दुआ देती थी. उसके बाद परीक्षा देने जाती थी. टॉपर बनने पर मां की आंखों से आंसू छलक गये. रितिका ने बताया कि कॉलेज के प्राचार्य बसंत झा का फोन सबसे पहले आया कि मैं झारखंड में दूसरा स्थान लायी हूं. यह बात सुनने के बाद मेरी मां की आंखों से आंसू छलक आये. घर में मीडिया के लोग बात करने के लिए पहुंच गये. यह क्षण मेरे जीवन में पहली बार आया है. मेरे परिवार के लोग खुशी से उछल रहे हैं.

गांव वालों के लिए प्रेरणा

: हजारीबाग का सुल्ताना गांव पिछड़ा हुआ है. रितिका ने बताया कि गरीबी के कारण गांव के बच्चे मैट्रिक तक पढ़ाई करने के बाद रोजगार में जुड़ जाते हैं. मेरे घर का भी हालात इसी तरह है. अब मैं टॉपर बन गयी हूं. गांव के लड़का और लड़कियां भी अब पढ़ाई की ओर आगे जरूर ध्यान देंगे. आगे और मेहनत करके मैं इंजीनियर बनूंगी तो इसका प्रभाव हमारे रिश्तेदार और आसपास गांव के बच्चों पर जरूर पड़ेगा. रितिका ने बताया कि मेरी सफलता के पीछे इंटर साइंस कॉलेज की पढ़ाई और शिक्षकों का योगदान काफी है. मैं कॉलेज और घर की पढ़ाई पर ही केंद्रित थी. कॉलेज के शिक्षक हमेशा अलग से भी गाइड करते थे.

सेकंड स्टेट टॉपर रितिका कुमारी का परिचय :

रितिका कुमारी के पिता संजय साव, माता पिंकी देवी, हजारीबाग सुल्ताना गांव के रहनेवाले हैं. परिवार में दो भाई और एक बहन है.

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