बुकाड जंगल में चल रही है शराब की अवैध भट्ठी
हजारीबाग : प्रखंड के ग्राम पंचायत ताजपुर में है बुकड गांव. चारो तरफ से जंगल एवं पहाड़ की तलहटी में बसे इस गांव में प्रशासन का जाना-आना नहीं होता है. इस गांव की दूरी प्रखंड मुख्यालय से करीब 16 किमी है. वहीं गांव से बिहार की सीमा की दूरी महज तीन से पांच किमी है.
सुनसान स्थान पर स्थित इस गांव में शराब माफियाओं की नजर लग गयी है. चार माह पूर्व से कुछ लोग यहां भयमुक्त देसी शराब की भट्ठी चला रहे हैं.
तस्करों ने की बदसलूकी: जब प्रभात खबर के प्रतिनिधि जंगल के पगड्डियों से होते हुए शुक्रवार को बुकड जंगल पहुंचे. उस समय एक मजदूर जलावन की लकड़ी काट रहा था. जैसे शराब की भट्ठी की तसवीर प्रतिनिधि ने ली, आसपास के जंगल में छुप कर बैठे लोग सामने आ गये. उन लोगों ने प्रतिनिधि के साथ बदसलूकी की. वहीं कई जाने-माने लोगो के नाम गिनाने लगे.
बाद में किसी तरह इन तस्करों के चंगुल से निकल पाये.
छापेमारी करना पुलिस के लिए मुश्किल: बुकड जाने के लिए पुलिस प्रशासन को दल-बल के साथ जाना होगा. यह गांव किसी जमाने में माओवादियों के लिए भी सेफ जॉन रह चुका है. इसके आसपास में कई बार पुलिस एवं माओवादियों के बीच खूनी संघर्ष हो चुका है. गांव तक पहुंचने के लिए जीटी रोड सियरकोनी से गरमोरवा के जंगली रास्ता से प्रशासन को पैदल जाना होगा.
दैनिक मजदूरी पर काम करते है: बताया जाता है कि शराब तस्कर गांव के मजदूरों को दैनिक मजदूरी पर काम पर रखते हैं. जहां शराब की भट्ठियां चलती हैं, उसके आसपास पेड़ को काट कर जलावन के रूप में लाया जाता है. गांववाले भय के कारण विरोध नहीं कर पाते हैं.