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कैसे चुकायेंगे बिचड़े का कर्ज
परेशानी. कम बारिश से धान की खेती की आस खत्म, किसान चिंतित केरेडारी : मॉनसून की बेरुखी से केरेडारी प्रखंड में सूखाड़ का खतरा मंडराने लगा है. बारिश की आस में किसान आसमान की ओर टकटकी लगाये बैठे हैं. 16 पंचायतों वाले केरेडारी प्रखंड में खेती शत-प्रतिशत बारिश पर ही निर्भर है. समय पर बारिश […]
परेशानी. कम बारिश से धान की खेती की आस खत्म, किसान चिंतित
केरेडारी : मॉनसून की बेरुखी से केरेडारी प्रखंड में सूखाड़ का खतरा मंडराने लगा है. बारिश की आस में किसान आसमान की ओर टकटकी लगाये बैठे हैं. 16 पंचायतों वाले केरेडारी प्रखंड में खेती शत-प्रतिशत बारिश पर ही निर्भर है. समय पर बारिश नहीं होने से धान की रोपनी का समय निकलते जा रहा है. केरेडारी प्रखंड में मात्र पांच प्रतिशत सिंचित भूमि पर ही किसान धान की रोपनी कर पा रहे हैं. कम बारिश के कारण धान की खेती की उम्मीद टूटती जा रही है.
अभी भी सूखे खेतों में दरार है. फसले सूख कर पीली पड़ गयी है. प्रखंड के अधिकांश बड़े जलाशयों में पानी कम है. इतना ही नहीं, मकई की खेती पर भी ग्रहण लग गया है. पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं मिलने के कारण मकई के पौधे भी सूखने लगे हैं. ऐसी स्थिति में किसानों के माथे पर चिंता की लकीर दिखने लगी है. किसानों में कृषि ऋण लेकर खेती के बिचड़े खरीदे. अब फसल की हालत देख यह भय सतान लगा है कि ऋण कैसे चुकायें.
दो बार बोया किसानों ने बिचड़ा : केरेडारी प्रखंड में सूखे का साया मंडराने लगा है. प्रखंड के कराली, सलगा, केरेडारी, पेटो, पचड़ा, चट्टी बारियातू, बेंगवरी, पांडू, बेलतू, हेवई, बारियातू समेत सभी पंचायतों में धान की खेती पर असर पड़ा है. किसानों का बिचड़ा तक नहीं निकला़. दो-दो बार धान बोने के बावजूद फसल छह अंगुली से ज्यादा नहीं बढ़ पाये. प्रखंड के लगभग सभी गांवों में अगस्त तक धान रोपाई का काम खत्म हो जाता था़
3120 हेक्टेयर में फसल लगाने का था लक्ष्य
केरेडारी प्रखंड के किसान रोपनी के लिए तैयार धान का बिचड़ा बचाने के लिए जूझ रहे हैं. प्रखंड में खरीफ सीजन में इस वर्ष 3120 हेक्टेयर भूमि में धान व मकई की खेती का लक्ष्य कृषि विभाग ने रखा है. सिंचित क्षेत्र के खेतों में ही अब तक 320 हेक्टेयर में ही मकई व धान की बोआई व रोपाई हो पायी.
केरेडारी के खपिया में रोपा के लिए अब तक किसानों का हल नहीं चला है. पूरे माह में सिर्फ एक दिन ही अच्छी बारिश हुई, जबकि अधिकांश दिन बिल्कुल बारिश नहीं हुई. पानी के अभाव में किसानों के खेतों में दरार पड़ गये हैं. धान के बिचड़े पीले पड़ने लगे हैं.
अगस्त में रोपा संभव : अनीश
कृषि पदाधिकारी अनीश अहमद ने कहा कि फिलहाल शून्य मिमी बारिश हुई है. अगस्त के अंत तक रोपा का काम किया जा सकता है. आगे अच्छी बारिश होने की संभावना है.
मौसम की बेरुखी से बढ़ी चिंता
पहली बारिश के बाद किसानों ने खेतों में फसलों की बुआई तो कर ली, लेकिन अब बारिश नहीं होने के कारण धान, मकई व अन्य फसलों पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. पिछले 15 दिनों से केरेडारी में बारिश नहीं होने के कारण फसलों पर इसका प्रभाव पड़ा है.
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