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भारतीय संस्कृति की विरासत है संस्कृत

हजारीबाग. भाग्यमणि विवाह मंडप में संस्कृत भारती की ओर से संस्कृत भाषा बोधन वर्ग क ी शुरुआत की गयी. उदघाटन मुख्य अतिथि बीएड कॉलेज के प्राचार्य डॉ के दारनाथ दुबे एवं विशिष्ट अतिथि जिला शिक्षा पदाधिकारी राजकुमार प्रसाद सिंह ने किया. भाषा बोधन वर्ग 25 दिसंबर से एक जनवरी 2015 तक सुबह पांच बजे से […]

हजारीबाग. भाग्यमणि विवाह मंडप में संस्कृत भारती की ओर से संस्कृत भाषा बोधन वर्ग क ी शुरुआत की गयी. उदघाटन मुख्य अतिथि बीएड कॉलेज के प्राचार्य डॉ के दारनाथ दुबे एवं विशिष्ट अतिथि जिला शिक्षा पदाधिकारी राजकुमार प्रसाद सिंह ने किया. भाषा बोधन वर्ग 25 दिसंबर से एक जनवरी 2015 तक सुबह पांच बजे से रात 10 बजे तक चलेगा. मौके पर केबी महिला कॉलेज के डॉ रामप्यारे मिश्र, डॉ श्रीप्रकाश पांडेय,डॉ दीपचंद कश्यप मौजूद थे. श्री दुबे ने कहा कि संस्कृत पांच हजार वर्ष से भारतीय संस्कृति का वाहक है. यह भाषा नहीं भारत की विरासत है. प्रशिक्षण में बिहार तथा झारखंड के विभिन्न जिलों से काफी संख्या में प्रशिक्षु शामिल हुए हैं. कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ ताराकांत शुक्ल, डॉ रमेश कुमार झा, डॉ रामेश्वधारी सिंह, महावीर लाल विश्वकर्मा, जयनारायण पांडेय,ओमप्रकाश गुप्ता, देवव्रत प्रसाद, डॉ सुनील कुमार कश्यप, ज्ञानेश मिश्र आदि ने सहयोग किया.

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