* हजारीबाग को क्लीन शहर बनाने के लिए सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट योजना को धरातल पर लाने का रास्ता साफ ,11 एकड़ जमीन मिली
।। देवनारायण ।।
हजारीबाग : सात साल बाद सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट योजना के लिए 11 एकड़ जमीन मिली. सदर सीओ ने मंडईखुर्द में गैरमजरूवा जमीन को सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट योजना में उपयोग लाने के लिए स्वीकृति दी है. इससे हजारीबाग को क्लीन शहर बनाने के लिए सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट योजना को धरातल पर लाने का रास्ता साफ हो गया है.
* क्या-क्या काम होना है : इस योजना के तहत शहर में डोर-टू-डोर से कचरा संग्रह होगा. इसके लिए शहर को आठ जोन में बांटा गया है. मकाननुमा आठ कचरा घर बनाया जायेगा. शहरवासियों के प्रत्येक घर में एक-एक डोमेस्टिक डस्टवीन दिया गया है.
* दो करोड़ 11 लाख की खरीदारी : वर्ष 2009-10 में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट में उपयोग होनेवाले सामग्री की खरीद पर दो करोड़ 11 लाख रुपये खर्च की गयी है. सभी खरीदारी तत्कालीन व वर्तमान नगर पर्षद अध्यक्ष अंजली कुमारी के देखरेख में हुआ था. इसमें 75 हाथ ठेला, 100 रिक्शा ट्रॉली, 20 हजार डोमेस्टिक डस्टवीन, 40 सिमलेश हाथ ठेला, 40 डस्टवीन, 200 टूवीन इन डस्टवीन, दो ट्रक टिपर, तीन ट्रैक्टर टेलर, चार डंपर प्लेसर, तीन छोटे वाहन की खरीदारी हो चुकी है.
* भूमि की आवश्यकता : सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट योजना के लिए 25 एकड़ भूमि की जरूरत बतायी गयी है. इनमें पांच एकड़ भूमि प्लांट लगाने के लिए अतिआवश्यक है. भूमि नहीं मिलने के कारण योजना आज तक लंबित पड़ा है. अब योजना के लिए 11 एकड़ जमीन उपलब्ध हो गयी है. अत: योजना को धरातल पर उतारने के लिए किसी प्रकार की अड़चन नहीं आनी चाहिए.
* क्या है सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट योजना
शहर के कचरों को संग्रह कर खाद बनाने के लिए एक प्लांट लगाने की योजना है. इसके लिए शहर के दो स्थानों पर कचरा ट्रांसफर स्टेशन बनाया जायेगा. जहां पर शहर से निकलने वाले कचरे का संग्रह किया जायेगा. इसमें उपयोगी व अन्य उपयोगी कचरा छांटने का काम होगा. इसके बाद ही कचरों से खाद बनाने की प्रक्रिया शुरू होगी.
* कितनी की है योजना
सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट केंद्र सरकार प्रायोजित योजना है. वित्तीय वर्ष 2006-07 की यह योजना 2010 में पूरी होनी थी. इस पर छह करोड़ 43 लाख 69 हजार रुपये खर्च होना है. इसमें 2007-08 में नगर पर्षद को दो करोड़ 64 लाख 67 हजार की राशि सरकार से प्राप्त हुई है. इसमें 66.3 लाख रुपये प्लांट बनाने पर खर्च होना है.