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सर्दी, खांसी व बुखार नहीं, फिर भी मजदूर कोरोना पॉजिटिव

घाघरा प्रखंड का एक प्रवासी मजदूर कोरोना पॉजिटिव है. प्रशासन ने उसे आइसोलेशन वार्ड में रखा है. प्रभात खबर के प्रतिनिधि ने मोबाइल फोन से कोरोना पॉजिटिव मरीज से बात की. प्रभात खबर ने मजदूर का हौसला बढ़ाया. मरीज ने बातचीत में कहा: उसे न तो सर्दी है और न ही खांसी व बुखार है. उम्र 41 साल है. वह बिल्कुल ठीक है. मजदूर इस बात से अचंभित है कि उसमें कोरोना कैसे निकल गया, क्योंकि वह अपने को स्वस्थ व बेहतर महसूस कर रहा है. मजदूर ने साहस भरे शब्दों में कहा मैं ठीक हूं.

प्रभात खबर विशेष ::

गुमला : घाघरा प्रखंड का एक प्रवासी मजदूर कोरोना पॉजिटिव है. प्रशासन ने उसे आइसोलेशन वार्ड में रखा है. प्रभात खबर के प्रतिनिधि ने मोबाइल फोन से कोरोना पॉजिटिव मरीज से बात की. प्रभात खबर ने मजदूर का हौसला बढ़ाया. मरीज ने बातचीत में कहा: उसे न तो सर्दी है और न ही खांसी व बुखार है. उम्र 41 साल है. वह बिल्कुल ठीक है. मजदूर इस बात से अचंभित है कि उसमें कोरोना कैसे निकल गया, क्योंकि वह अपने को स्वस्थ व बेहतर महसूस कर रहा है. मजदूर ने साहस भरे शब्दों में कहा मैं ठीक हूं.

मुझे कोई डर नहीं है. एक सप्ताह में मेरी रिपोर्ट निगेटिव आयेगी. तबतक के लिए मैं डॉक्टर की निगरानी में अस्पताल में ही रहूंगा. मजदूर ने कहा कि गरीबी क्या है, इसे मैं नजदीक से जानता हूं. पेट की आग बुझाने के लिए हमें प्रवासी मजदूर बनना पड़ता है. मैं मजदूरी करने बेंगलुरु गया था. वहां एक कंपनी में काम करता था. कोरोना संकट के बाद लॉकडाउन लगा. कंपनी बंद हो गयी. कई दिनों तक बेंगलुरु में परेशान रहा, फिर ट्रेन चली. मैं अपने कुछ साथियों के अलावा कुल 22 लोगों के साथ 14 मई को ट्रेन से रांची के हटिया पहुंचा. हटिया में जांच हुई. स्वागत हुआ. हटिया में बस लगी हुई थी. एक बस में 22 लोग हमलोग बैठ कर गुमला आये.

गुमला पहुंचने पर सदर अस्पताल ले जाया गया, जहां पुन: स्वास्थ्य की जांच हुई. कोरोना जांच के लिए सैंपल लिया गया. सैंपल लेने के बाद आठ लोगों को घाघरा प्रखंड भेजा गया. इसमें मैं (पॉजिटिव मजदूर) भी था. घाघरा के कोरेंटिन सेंटर में एक दिन रखा गया. इसके बाद 15 मई को प्रशासन ने सभी आठ लोगों को गांव जाकर पंचायत कोरेंटिन सेंटर में रहने के लिए कहा. मजदूर ने बताया कि बेंगलुरु से गुमला व गुमला से घाघरा आने तक मैं अपने ही साथियों के संपर्क में था. ज्यादा लोगों से नहीं मिला हूं. मेरे दोस्तों का भी सैंपल लिया गया, परंतु उन लोगों की जांच रिपोर्ट क्या है, इसकी जानकारी मुझे नहीं है. लेकिन मैं पॉजिटिव निकला, इससे मैं असमंजस में हूं.

मजदूर ने कहा कि मैं रेड जोन इलाका से होकर आया हूं. हो सकता है कि किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आ गया हूं, परंतु इससे डरा हुआ नहीं हूं. मजदूर ने कहा कि मुझे चिंता इस बात की है कि मैं अपने ही गांव के स्कूल में बनाये गये कोरेंटिन सेंटर में चार दिन रहा. इस दौरान घर से परिवार के लोग खाना पहुंचाने आते थे. मेरे साथ अन्य पांच प्रवासी मजदूर कोरेंटिन सेंटर में हैं. हम सभी गांव के तालाब व कुआं में नहाने जाते थे.

चापानल का पानी पीते थे. सेंटर में शौचालय की व्यवस्था नहीं है. खुले में शौच जाते थे. डर इस बात का है कि अगर मैं कोरोना पॉजिटिव निकला हूं, तो मेरे कारण कई लोग संक्रमित हुए होंगे. पुरानी बातों को सोच कर मैं डर रहा हूं. मजदूर ने कहा कि ईश्वर सबकुछ ठीक करेंगे. डॉक्टर हैं, वे मुझे ठीक करके ही घर भेजेंगे. कपड़ा भिजवा दे प्रशासनमजदूर ने कहा : पॉजिटिव की सूचना के बाद प्रशासन ने मुझे अस्पताल में लाकर भर्ती करा दिया. मैं अकेले आइसोलेशन वार्ड में हूं. गांव से अस्पताल आने के दौरान मैं अपना कपड़ा नहीं ला सका. शरीर पर जो कपड़ा है, वही मेरे पास है. उसने घर से नया कपड़ा भिजवाने की मांग की है.

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