रेलवे सुरक्षा अधिकारी लेंगे जायजा, सौपेंगे जांच रिपोर्ट
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लोहरदगा-टोरी रेल लाइन की जांच आज
रेलवे सुरक्षा अधिकारी लेंगे जायजा, सौपेंगे जांच रिपोर्ट कुड़ू (लोहरदगा) : लोहरदगा-टोरी रेलवे लाइन पर यात्री ट्रेन का परिचालन कब शुरू होगा इसकी जांच 20 फरवरी को होगी. सोमवार को रेलवे के मुख्य सुरक्षा अधिकारियों की टीम लोहरदगा से टोरी तक रेलवे ट्रैक की जांच करेगी़ जांच रिपोर्ट रेल मंत्रालय को सौंपी जायेगी़ इसके बाद […]
कुड़ू (लोहरदगा) : लोहरदगा-टोरी रेलवे लाइन पर यात्री ट्रेन का परिचालन कब शुरू होगा इसकी जांच 20 फरवरी को होगी. सोमवार को रेलवे के मुख्य सुरक्षा अधिकारियों की टीम लोहरदगा से टोरी तक रेलवे ट्रैक की जांच करेगी़ जांच रिपोर्ट रेल मंत्रालय को सौंपी जायेगी़ इसके बाद मंत्रालय तय करेगा कि कब से लोहरदगा से टोरी तक यात्री ट्रेन का परिचालन शुरू होगा़ लोहरदगा -टोरी रेलवे लाइन को मंजूरी वर्ष 1996 में तत्कालीन रेलवे मंत्री रामबिलास पासवान ने दी थी. वर्ष 2000 में काम शुरू हुआ़ पांच साल में काम पूरा करना था लेकिन उग्रवादियों की धमक व धमकी के बाद योजना लटकती चली गयी.
पांच साल की योजना को पूरा होने में 17 साल लग गये़ इस दौरान एक दर्जन से ज्यादा बड़ी उग्रवादी घटना तथा पांच दर्जन से ज्यादा छोटी घटनाओं को उग्रवादियो ने अंजाम दिया. काम में लगे करोड़ों रुपये की मशीनों को जला दिया गया. मजदूरों से मारपीट की गयी. रेल मंत्रालय के फटकार से राज्य सरकार आहत होने के बाद लोहरदगा पुलिस को पूरी सुरक्षा देने के आदेश दिया. लोहरदगा पुलिस ने दो जगहों पर नामुदाग के रेलवे पुलिया नंबर 33 और धोरधोरवा नाला के रेलवे पुलिया
नंबर 27 के समीप पुलिस पिकेट बनाया गया. चांपी में पुलिस पिकेट बनाते हुए रेलवे के काम में लगे मदजूरों को सुरक्षा दी गयी. इस दौरान भी उग्रवादियो ने कई घटनाओ को अंजाम दिया. रेल मंत्रालय ने चार बार समय में बढ़ोतरी की. आखिरकार लोहरदगा से टोरी तक रेलवे ट्रैक बन कर तैयार हो गया. अधिकारियो के दौरे को लेकर रविवार को दिन भर काम चलता रहा. रेलवे के कई अधिकारी दिन भर रेलवे ट्रैक का जायजा लेते रहे़
जीएम से लेकर सीइओ लगातार कर रहें है निगरानी : दक्षिण- पूर्व रेलवे के तीन जीएम, चार डीआरएम समेत सीइओ ने इस परियोजना को पूरा कराने में रात-दिन जुटे रहें. एक माह से रेलवे के जीएम एसएन अग्रवाल, डीआरएम एस अग्रवाल, सीइओ वेद पाल, अभियंता प्रमुख डीसी चौधरी समेत तकनिकी, इलेक्ट्रॉनिक, दूरसंचार एवं मैकनिकल इंजिनियरो की पूरी टीम निगरानी कर रही है़ इतना ही नहीं रेलवे ट्रैक की प्रतिदिन जांच हो रही है़ कहीं कोई कमी ना रह जाये इसका ध्यान रखा जा रहा है.
स्टेशन का नाम बड़की चांपी रखने की मांग
बड़की चांपी तक जब से रेलवे का परिचालन शुरू हुआ है तब से स्टेशन का नामकरण नहीं हो पाया है़ कारण कमले के ग्रामीणों का विरोध. कमले के ग्रामीणों का कहना है कि जहां पर स्टेशन बना है वह कमले गांव का है इसलिए स्टेशन का नाम कमले हो.दूसरी तरफ बड़की चांपी के नाम से रेलवे मंत्रालय के पास नोटिफिकेशन हो गया है और बड़की चांपी के नाम से टिकट भी कटता है़ बड़की चांपी के ग्रामीण रेलवे के सुरक्षा अधिकारियों से मांग करेंगे कि स्टेशन का नाम बड़की चांपी रखा जाये.
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