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भूखे पेट कैसे बच्चों को पढ़ाये!

गुमला जिले के विभिन्न आदिम जनजाति आवासीय स्कूलों के 31 शिक्षक-शिक्षिकाओं को सात माह से वेतन नहीं मिला है. वर्ष 2016 के जून माह में सभी की अनुबंध पर नियुक्ति की गयी है. आवंटन के अभाव में मामला फंसा हुआ है. दुर्जय पासवान गुमला:गुमला जिले के विभिन्न आदिम जनजाति आवासीय स्कूलों के 31 शिक्षक-शिक्षिकाओं को […]

गुमला जिले के विभिन्न आदिम जनजाति आवासीय स्कूलों के 31 शिक्षक-शिक्षिकाओं को सात माह से वेतन नहीं मिला है. वर्ष 2016 के जून माह में सभी की अनुबंध पर नियुक्ति की गयी है. आवंटन के अभाव में मामला फंसा हुआ है.
दुर्जय पासवान
गुमला:गुमला जिले के विभिन्न आदिम जनजाति आवासीय स्कूलों के 31 शिक्षक-शिक्षिकाओं को सात माह से वेतन नहीं मिला है. वर्ष 2016 के जून माह में सभी की नियुक्ति हुई है. वेतन नहीं मिलने से शिक्षक परेशान हैं.
सभी के समक्ष आर्थिक संकट उत्पन्न हो गयी है. वेतन नहीं मिलने से परेशान शिक्षकों ने कहा है : भूखे पेट बच्चों को कैसे पढ़ायेंगे. सात माह किसी प्रकार कर्जा लेकर स्कूल में बच्चों को पढ़ायें, लेकिन अब स्कूल में बिना वेतन पढ़ाना मुश्किल लग रहा है. कुछ शिक्षकों ने गुरुवार को डीसी श्रवण साय से मुलाकात की. उनसे वेतन भुगतान की मांग की. शिक्षकों ने डीसी से वेतन दिलाने की गुहार लगाते हुए कहा है कि सर, बड़ी मुश्किल में हैं, वेतन दिला दें. शिक्षकों की समस्या सुनने के बाद डीसी ने आश्वासन दिया है कि बहुत जल्द आपका वेतन मिलेगा. इसके लिए संबंधित विभाग के पदाधिकारियों से बात कर समस्या समाधान करने का वादा किया.
अनुबंध पर नियुक्ति हुई थी
शिक्षक प्रदीप नाग ने कहा कि समेकित जनजाति विकास अभिकरण गुमला द्वारा अनुसूचित जनजाति आवासीय विद्यालयों में घंटी आधारित अनुबंध पर शिक्षकों की नियुक्ति की गयी थी. वर्ष 2016 के जून माह में नियुक्ति हुई. 35 शिक्षक-शिक्षिका थे, लेकिन सुविधा व वेतन नहीं मिलने के डर से चार शिक्षकों ने काम छोड़ दिया. अभी 31 शिक्षक काम कर रहे हैं, लेकिन वेतन नहीं मिलने से परेशानी हो रही है. हमारे पास जितनी जमा पूंजी थी, वह भी खत्म हो गयी. अगर छह माह का वेतन इस दिसंबर माह के अंत तक नहीं मिलता है, तो भूखे मरने की नौबत आ जायेगी.
स्कूल व शिक्षकों के नाम
अनुसूचित जनजाति आवासीय बालक उवि नवाडीह घाघरा की सीमा कुमारी बखला, रंजीता कुमारी राम, प्रदीप नाग, दीपक कुमार, रंजन उरांव, महादेव उरांव शामिल हैं.
वहीं अनुसूचित जनजाति आवासीय बालिका उवि चापाटोली बिशुनपुर की मनीषा कुमारी, अमिता कुमारी, सीमा सिंह, अखिलेश कुमार, चिंता कुमारी, नंदकिशोर तिर्की, शिखा शिल्पा, सादिया शबनम, अनुसूचित जनजाति आवासीय बालक उवि जोभीपाट बिशुनपुर की शबनम सुलताना, आनंद कुमार चौधरी, अभिषेक कुमार गुप्ता उज्ज्वला मिंज, पूजा नाग, पदमा देवी, अनुसूचित जनजाति आवासीय बालक उवि सखुवापानी बिशुनपुर के अनिल चंद्र गुप्ता, शिवानंद कुमार यादव, रिमझिम कुमारी, वसुंधरा कुमारी, अगस्तीन तिर्की, चांदनी वर्मा, अनुसूचित जनजाति आवासीय बालक उवि कंदापाट डुमरी के अमृत लाल टोप्पो, सुमन बखला, रवींद्र कुमार, पतांजली पांडेय व अनुसूचित जनजाति आवासीय बालक उवि डोकापाट चैनपुर के सुरेंद्र बाड़ा शामिल हैं.

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