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धनगांव को विकास के रहनुमाओं का इंतजार

धनगांव को विकास के रहनुमाओं का इंतजार ग्राउंड रिपोर्ट प्राचीन युग में जी रहे धनगांव में आज भी सरकारी सुविधा नहीं है. चलने के लिए सड़क नहीं, पीने के लिए शुद्ध पानी नहीं मिलता है.: बिजली जलती नहीं, विभाग भेज रहा बिल. दुर्जय पासवान, गुमलाडिजिटल इंडिया व इंटरनेट के युग में गुमला प्रखंड की कुम्हरिया […]

धनगांव को विकास के रहनुमाओं का इंतजार ग्राउंड रिपोर्ट प्राचीन युग में जी रहे धनगांव में आज भी सरकारी सुविधा नहीं है. चलने के लिए सड़क नहीं, पीने के लिए शुद्ध पानी नहीं मिलता है.: बिजली जलती नहीं, विभाग भेज रहा बिल. दुर्जय पासवान, गुमलाडिजिटल इंडिया व इंटरनेट के युग में गुमला प्रखंड की कुम्हरिया पंचायत स्थित धनगांव आज भी पिछड़ा है. लोग आज भी इस क्षेत्र के लोग प्राचीन युग में जी रहे हैं. इस क्षेत्र में निवास करने वाले 125 परिवार को विकास के रहनुमाओं का इंतजार है. धनगांव मौजा में आठ छोटे टोले हैं. यहां चलने के लिए सड़क नहीं है. सरकार स्वच्छ भारत की बात करती है, लेकिन इस गांव को पीने के लिए शुद्ध पानी नहीं मिलता है. तार व पोल लगा है, पर बिजली नहीं है. बिजली आती है, तो वोल्टेज नहीं रहता. महीनों से बिजली गुल है. फिर भी विभाग द्वारा बिजली बिल भेजा जा रहा है. प्रभात खबर ने गांव का हाल जाना. लोगों का दर्द सुना. सभी की एक ही बात थी. किसी प्रकार जी रहे हैं. कई परिवार मजदूरी कर अपने बच्चों को अच्छे स्कूलों में पढ़ा रहे हैं. परंतु आगे उनका क्या भविष्य होगा, यह किसी को पता नहीं है. गांव की हकीकत : धनगांव मौजा में गजाटोली, पंडाटोली, महुआटोली, करमटोली, तेतराटोली, गुलैचीटोली, रूगड़ीखोइर व धनगांव है. इन आठ टोला में 125 परिवार रहते हैं. आबादी लगभग 500 है. नौ चापानल हैं. सभी खराब हैं. सड़क पर नुकीले पत्थर हैं. रोजगार का साधन नहीं है. कई परिवार पलायन कर गया है. केरला में रबर के कारखाना में मजदूरी करते हैं. गांव ऐसे सुर्खियों में आया : बीते मंगलवार को करैत सांप के डंसने से ननकी उरांइन की मौत हो गयी. इसके बाद गांव के हरेक लोगों को सांप डंसने की शिकायत होने लगी. गांव के ओझा-गुणी मददू उरांव ने अपने नौ शिष्यों के साथ मिल कर सांप के जहर को कम करने के लिए झाड़ -फूंक शुरू की. पीठ पर कांसा की थाली चिपकाया. फिर देवी देवताओं को खुश करने के लिए बकरा की बलि देने लगे. गांव में स्वास्थ्य केंद्र नहीं है. इलाज के लिए गुमला जाना पड़ता है. गांव के लोग पुराने समय से किसी को कुछ होने पर जंगली जड़ी बूटी व झाड़ फूंक से इलाज कराते आ रहे हैं. मैं 20 वर्षों से झाड़ फूंक कर रहा हूं.मद्दू उरांव, ओझा-गुणी, धनगांवधनगांव मौजा के अंतर्गत पड़ने वाले गांवों का अभी तक विकास नहीं हो सका है. पुरानी मान्यताओं पर आज भी गांव के लोग विश्वास करते हैं. विश्वनाथ पहान, ग्राम प्रधान, धनगांवगांव में कोई काम नहीं है. केरला में रबर का कारखाना है. धनगांव के दस परिवार रबर कारखाना में मजदूरी करते हैं. अभी कुछ लोग गांव आये हैं. कुछ दिन के बाद पुन: सभी केरला मजदूरी करने चले जायेंगे.कार्तिक उरांव, ग्रामीण, धनगांवधनगांव का जिस तेजी से विकास होना था, वह नहीं हो सका है. सही में सड़क नहीं बनी है. मैंने जिला परिषद की बैठक में सड़क बनाने का प्रस्ताव दिया है. नया ट्रांसफारमर लगाने की भी मांग की है.सुबोध लाल, सदस्य, जिला परिषद

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