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सब्बू गलत कदम नहीं उठा ले, इसके लिए काउंसलिंग की गयी
46 लड़कियों का नामांकन नहीं सब्बू की तरह मानव तस्करी की शिकार लड़कियों का गुमला जिले के विभिन्न कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय स्कूलों में नामांकन नहीं हो रहा है. सीडब्ल्यूसी न्यायपीठ द्वारा जिला शिक्षा अधीक्षक को उन लड़कियों की सूची उपलब्ध करायी गयी है, जो तस्करी की शिकार हुई थीं. अब लड़कियां पढ़ना चाहती हैं. […]
46 लड़कियों का नामांकन नहीं
सब्बू की तरह मानव तस्करी की शिकार लड़कियों का गुमला जिले के विभिन्न कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय स्कूलों में नामांकन नहीं हो रहा है. सीडब्ल्यूसी न्यायपीठ द्वारा जिला शिक्षा अधीक्षक को उन लड़कियों की सूची उपलब्ध करायी गयी है, जो तस्करी की शिकार हुई थीं. अब लड़कियां पढ़ना चाहती हैं. 46 लड़कियों की सूची सौंपी गयी है. यदि इन लड़कियों का नामांकन नहीं होता है, तो पुन: लड़कियां पलायन कर सकती हैं.
नामांकन कराने में है परेशानी
डीएसइ सच्चिदानंद द्विवेंदु तिग्गा ने कहा किकस्तूरबा स्कूल में नामांकन कराने की प्रक्रिया फरवरी व मार्च माह से ही शुरू हो जाती है. दिसंबर में आवेदन मिलता है. उसके आधार पर नामांकन होता है. नामांकन के लिए संबंधित प्रखंड के बीडीओ, बीइइओ व स्कूल कमेटी उत्तरदायी होता है. कमेटी द्वारा चयनित छात्रओं का ही स्कूल में नामांकन होता है. सीडब्ल्यूसी से देर से लड़कियों की सूची उपलब्ध करायी गयी है. इसके कारण नामांकन नहीं हो सका.
हीरामुनी के पढ़ने का सपना अधूरा
चैनपुर प्रखंड के कोरकोट टोली गांव के एतवा उरांव की बेटी हीरामुनी कुमारी पढ़ना चाहती है. इसके लिए सीडब्ल्यूसी ने बघिमा कस्तूरबा स्कूल की वार्डन को पत्र लिख कर हीरामुनी का नामांकन कराने को कहा है. वार्डन ने यह कह कर नामांकन लेने से इनकार कर दिया कि इसमें डीएसइ की अनुशंसा नहीं है. गाैरतलब हो कि हीरामुनी पलायन कर गयी थी. अब वह अपने गांव में रह रही है और पढ़ना चाहती है.
अगर लड़कियों का नामांकन नहीं होता है, तो पहले स्पष्टीकरण मांगा जायेगा. इसके बाद संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सरकार को पत्र लिखा जायेगा.
तागरेन पन्ना, चेयरमैन, सीडब्ल्यूसी, गुमला
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