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प्रशिक्षण के नाम पर ठगे गये
आदिम जनजाति असुर को देना था पीटीजी वोकेशनल प्रशिक्षण जन कल्याण विकास केंद्र गढ़वा को मिली जिम्मेवारी बिशुनपुर(गुमला) : बिशुनपुर प्रखंड के पाट क्षेत्र में रहनेवाले विलुप्त प्राय: आदिम जनजाति असुर को स्वरोजगार से जोड़ने के मकसद से पीटीजी वोकेशनल प्रशिक्षण देना था. लेकिन प्रशिक्षण के नाम पर खानापूर्ति की गयी है. कुछ ही क्षेत्रों […]
आदिम जनजाति असुर को देना था पीटीजी वोकेशनल प्रशिक्षण
जन कल्याण विकास केंद्र गढ़वा को मिली जिम्मेवारी
बिशुनपुर(गुमला) : बिशुनपुर प्रखंड के पाट क्षेत्र में रहनेवाले विलुप्त प्राय: आदिम जनजाति असुर को स्वरोजगार से जोड़ने के मकसद से पीटीजी वोकेशनल प्रशिक्षण देना था. लेकिन प्रशिक्षण के नाम पर खानापूर्ति की गयी है. कुछ ही क्षेत्रों में प्रशिक्षण दिया गया है. असुर जाति को प्रशिक्षण के नाम भी ठगा गया है.
सखुवापानी गांव के अनिल असुर, सरोज असुर, समीर असुर, राजू असुर, सुखमनिया देवी, झालो देवी, धर्मेंद्र असुर ने कहा कि कुछ माह पहले मुर्गी व सूकर पालन के लिए दस दिन तक प्रशिक्षण दिया गया. लेकिन प्रशिक्षण के नाम पर खानापूर्ति की गयी है. हमें रांची घुमाया गया. प्रमाण पत्र भी दिया. लेकिन यह प्रमाण पत्र हमारे लिए किस काम के हैं. प्रशिक्षण भी किस काम का. जब हमारे पास मुर्गा व सूकर है ही नहीं है. उन्होंने कहा कि जब प्रशिक्षण दिया है, तो मुर्गा व सूकर मिलना चाहिए था. तभी तो प्रशिक्षण का लाभ उठा पाते.
प्रशिक्षण पर 40 लाख खर्च करना है
असुर जाति को सूकर, बकरी व मुर्गी पालन का प्रशिक्षण देना है. इसके लिए मेसो विभाग द्वारा 13वें वित्त विभाग की अनुशंसा पर पीटीजी वोकेशनल प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया गया है.
बिशुनपुर प्रखंड के अमतीपानी, उपरलोदा पाट, सखुवापानी, कुजाम, डीपा कुजाम गांव का चयन प्रशिक्षण के लिए किया गया है. सिर्फ असुर जाति को ही प्रशिक्षण देना है. इसमें बकरी पालन में 11.60 लाख, सूकर पालन में 13.25 लाख व मुर्गी पालन के प्रशिक्षण में 15.75 लाख रुपये खर्च करना है. कुल 40 लाख 60 हजार रुपये है. प्रशिक्षण देने की जिम्मेवारी स्वयंसेवी संस्थान जन कल्याण विकास केंद्र गढ़वा को दिया गया है.
एनजीओ के अनुसार प्रशिक्षण शुरू है
प्रशिक्षण देने की अनुशंसा 16 दिसंबर 2014 को दिया गया है. लेकिन गुमला मेसो विभाग से मिली जानकारी के अनुसार गढ़वा जिला की संस्था ने 26 जून 2015 से प्रशिक्षण शुरू करने के लिए आवेदन दिया है. विभाग के अनुसार प्रत्येक गांव में मुर्गी पालन के लिए 40, बकरी पालन के लिए 30 व सूकर पालन के लिए 35 लोगों को प्रशिक्षण देना है. यह प्रशिक्षण एकवर्ष के लिए है. लेकिन यहां बताया जा रहा है कि सिर्फ सखुवापानी में ही प्रशिक्षण दिया गया है. वह भी दस दिन का. प्रशिक्षण के बाद गांव में महिला समिति का गठन हुआ है. लेकिन उसके कार्य करने के तरीकों के बारे में नहीं बताया गया.
कॉर्डिनेटर व फील्ड वर्कर की नियुक्ति नहीं
योजना के तहत जिस असुर जाति बहुल क्षेत्र के लोगों को प्रशिक्षण देना है. उसी क्षेत्र से एक कॉर्डिनेटर व दो फील्ड वर्कर की नियुक्ति करनी है. लेकिन नियुक्ति नहीं की गयी है. न ही मेसो विभाग के पास इसकी कोई जानकारी नहीं है. कॉर्डिनेटर व फील्ड वर्कर की नियुक्ति भी उन्हीं लोगों को करना है.
कुछ स्थानों पर प्रशिक्षण देने की सूचना है. लेकिन उसकी रिपोर्ट अभी तक मेरे पास नहीं आयी है. प्रशिक्षण देने संबंधी रिपोर्ट आने के बाद ही डिटेल से जानकारी दे सकते हैं.
रविंद्र गुप्ता, बीडीओ, बिशुनपुर
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