प्रतिनिधि, गुमलाडॉ आरबी चौधरी की हत्या फिरौती की रकम के कारण हो गयी. अगर परिजन थोड़ा सब्र करते और अपराधियों को पैसा जल्दबाजी में नहीं देते, तो आज डॉ चौधरी हमारे बीच हो सकते थे, जिस प्रकार एसपी भीमसेन टुटी ने कही है. दो मई के बाद परिजनों ने पुलिस से संपर्क काट लिया था. इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि परिजन अपराधियों की धमकी के बाद दबाव में आ गये थे. इस कारण वे पुलिस से संपर्क तोड़ कर सीधे फिरौती की रकम अपराधियों को दी. जिसका परिणाम सामने है. अपराधियों ने चार लाख रुपये भी लिया और डॉक्टर की हत्या भी कर दी. परिजन पैसा देने से पहले अगर पुलिस से संपर्क करते, तो संभवत: फिरौती की रकम के साथ अपराधी बेतला में पकड़े जाते. इसके बाद डॉक्टर को सकुशल बरामद किया जा सकता था. पुलिस का मानना है कि अगर कोई भी काम पुलिस की जानकारी में हो, तो उस पर कार्रवाई होगी. ऐसे भी डॉक्टर की हत्या के बाद कई सवाल भी उठ रहे हैं. क्योंकि पुलिस गिरफ्त में आये रूपेश, अशोक व दीपक ने सिर्फ डॉक्टर के अपहरण के बाद उसे बंधक बना कर रखने व हत्या करने की जानकारी दी है. डॉक्टर को अपहरण करना है, यह योजना अभय व सूरज के दिमाग में कैसे आयी. यह अभी भी रहस्य है. इस पूरे घटनाक्रम में जो भी हो, लेकिन डॉ चौधरी के अपहरण के बाद हत्या होना, सुरक्षा पर एक बड़ा सवाल है. सुरक्षा की मांग को लेकर ही डॉक्टर आंदोलन कर रहे हैं. इससे स्वास्थ्य सेवा चरमरा गयी है. अब सवाल यह है कि डॉक्टरों की हड़ताल कब तक चलेगी. मरीज कब तक परेशान रहेंगे. सरकार को इस पर जल्द पहल करने की जरूरत है. जिससे स्वास्थ्य सेवा को सुचारु ढंग से चालू किया जा सके.
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बॉक्स::::::: सब्र करते, तो डॉक्टर जिंदा होते!
प्रतिनिधि, गुमलाडॉ आरबी चौधरी की हत्या फिरौती की रकम के कारण हो गयी. अगर परिजन थोड़ा सब्र करते और अपराधियों को पैसा जल्दबाजी में नहीं देते, तो आज डॉ चौधरी हमारे बीच हो सकते थे, जिस प्रकार एसपी भीमसेन टुटी ने कही है. दो मई के बाद परिजनों ने पुलिस से संपर्क काट लिया था. […]
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