पहले इटकी की महिलाओं ने भीख मांगा, अब भरनो में भी हो रहा अनुसरण
भरनो(गुमला) : स्थानीय इलाके में आज कल महिलाएं भीख मांगती देखी जा रही हैं, वह भी अपने बेटों की सलामती के लिए. अब इसे आस्था, परंपरा कहें या अंधविश्वास, लेकिन यह सच है.
महिलाओं का तर्क है कि वह भीख मांगेंगी, तो उनके बेटे सुरक्षित व सलामत रहेंगे. अब इसके लिए वह गांव-गांव घूम रही हैं. महिलाएं भीख मांगने को परंपरा से जुड़ा बताती हैं. लोग भी उन्हें भीख देते नजर आ रहे हैं. मामला भरनो प्रखंड का है.
दो दिन पहले इटकी से पहुंची महिलाएं : दो दिन पहले इटकी से दो बस में सवार होकर दर्जनों महिलाएं भरनो पहुंचीं. ये महिलाएं घर-घर जाकर 5-10 रुपये भीख मांग रही हैं. इटकी की महिलाओं ने भरनो में बताया कि जिसका एक ही बेटा है, उस महिला को दूसरे गांव से भीख मांग कर घर में पूजा-पाठ करना होता है, जिससे उसका बेटा सलामत रहे.
ऐसा सभी गांवों में चल रहा है. इटकी की महिलाओं के बाद अब भरनो प्रखंड की महिलाएं भी अपने बेटों के लिए भीख मांगने निकल गयी हैं. यह मामला सोमवार से शुरू हुआ है. दर्जनों महिलाएं टेंपो और अन्य वाहनों से दूसरे गांव जा रही हैं. सोमवार को भरनो प्रखंड मुख्यालय की सैकड़ों महिलाएं मारासिल्ली गांव भीख मांगने गयी थीं, लेकिन इस गांव में उन्हें भीख नहीं दी गयी. गांव के लोगों ने बताया कि अगर हम भीख देंगे, तो ऐसे में भरनो की समस्या मारासिल्ली गांव में आ जायेगी.
पूर्व मुखिया की बातों का भी नहीं पड़ा असर
दक्षिणी भरनो पंचायत के पूर्व मुखिया रतिया उरांव ने महिलाओं को समझाया और ऐसे अंधविश्वास में नहीं पड़ने की सलाह दी. लेकिन बेटे पर कोई आफत आने की आशंका से महिलाएं मानने को तैयार नहीं हुईं. सैकड़ों महिलाएं मंगलवार को भी भीख मांगने जायेंगी.