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धर्म की बंदिश किसी पर न लगे : फादर सिप्रीयन

गुमला : गुमला धर्मप्रांत के विकर जनरल फादर सिप्रीयन कुल्लू ने धर्मांतरण के मुद्दे पर अपना विचार व्यक्त किया है. उन्होंने कहा है कि हर धर्म व जाति का अपना पूजा स्थल है, जहां वे पूजा करते हैं. किसी धर्म का पूजा स्थल ज्यादा है, तो किसी का कम है. फिर इसमें विवाद क्यों. धार्मिक […]

गुमला : गुमला धर्मप्रांत के विकर जनरल फादर सिप्रीयन कुल्लू ने धर्मांतरण के मुद्दे पर अपना विचार व्यक्त किया है. उन्होंने कहा है कि हर धर्म व जाति का अपना पूजा स्थल है, जहां वे पूजा करते हैं. किसी धर्म का पूजा स्थल ज्यादा है, तो किसी का कम है. फिर इसमें विवाद क्यों. धार्मिक स्थलों को क्यों नष्ट किया जा रहा है. क्या, धार्मिक स्थल नष्ट करने से दूसरे धर्म के लोगों का उत्थान हो रहा है.
गरीबी खत्म हो रही है. सवाल अनेक हैं. एक धर्म के लोग दूसरे धर्म के लोगों से लड़ कर आखिर क्या दिखाना चाह रहे हैं. यह सोचनीय बात है. इसपर सभी को मंथन करने की जरूरत है. जब हम सभी मनुष्य एक हैं, तो फिर यह धर्मांतरण का मुद्दा क्यों आ रहा है. किसी धर्म को ठेस पहुंचा कर अगर हम विजयी मुस्कान ले रहे हैं, तो यह देशहित व समाजहित के लिए ठीक नहीं है.
मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर, गुरुद्वारा व सरना स्थल सभी में मनुष्य ही प्रार्थना करते हैं. जरूर, प्रार्थना का तरीका अलग है. लेकिन प्रार्थना का मकसद एक है. हम अपने मन की शांति, सुख की कामना और सभी की खुशहाली के लिए प्रार्थना करते हैं. फिर एक-दूसरे धर्म पर आरोप-प्रत्यारोप क्यों लग रहा है. इससे हमें बचने की जरूरत है.
भारत धर्मनिरपेक्ष देश है. यहां सभी धर्म व जाति के लोग रहते हैं. सभी की अपनी भाषा, संस्कृति, वेशभूषा व रहन-सहन है. क्या हम किसी पर दबाव बना कर उसके उसके धर्म व जाति को बदल सकते हैं. जवाब आयेगा नहीं. कारण, स्पष्ट है. हम किसी की खुशी को नहीं छीन सकते हैं. हम किसी की भाषा व संस्कृति को छीन नहीं सकते.
हम सब एक हैं. फिर यह विवाद क्यों. एक बच्चा जब जन्म लेता है, तो उसे पता नहीं रहता कि वह किस धर्म व जाति का है. लेकिन जैसे-जैसे वह बढ़ता है, उसके मन में डाला जाता है कि तुम्हारा धर्म व जात यह है. यह एक विकसित समाज के लिए खतरनाक है. उस बच्चे को जीने का अधिकार है. उसे धर्म व जात में न बांधे. समाज व देश के लिए जीने दे.
अगर बच्चा बड़ा होकर मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर, गुरुद्वारा व सरना स्थल सभी जगह जाना चाहे, तो क्या उसे रोका जाना चाहिए. उसके ऊपर धर्म की बंदिश लगानी चाहिए. मेरा मानना है कि धर्म की बंदिश किसी पर न लगे.

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