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गुमला : गरीबी और बेबसी, यही हमारी जिंदगी है. रांची, मुंबई व दिल्ली जैसे बड़े शहरों में अनगिनत लोगों को फुटपाथ पर जिंदगी गुजारते देखे होंगे, लेकिन अब महानगरों की तस्वीर गुमला में भी दिखने लगी है. आप रात को शहर में निकल जाइये, फुटपाथों में बेघर लोग अपनी जिंदगी किस तरह गुजारते हैं, दिख […]

गुमला : गरीबी और बेबसी, यही हमारी जिंदगी है. रांची, मुंबई व दिल्ली जैसे बड़े शहरों में अनगिनत लोगों को फुटपाथ पर जिंदगी गुजारते देखे होंगे, लेकिन अब महानगरों की तस्वीर गुमला में भी दिखने लगी है. आप रात को शहर में निकल जाइये, फुटपाथों में बेघर लोग अपनी जिंदगी किस तरह गुजारते हैं, दिख जायेंगे. इनमें कुछ बेघर लोग हैं, तो कुछ मानसिक रूप से विक्षिप्त हैं.
शहर के मेन रोड में दुकानों के बाहर सोकर रात गुजारते हैं और सुबह होते ही पेट की आग बुझाने के लिए हाथ फैला कर भीख मांगना शुरू कर देते हैं. गुरुवार को तितली साइक्लोन ने गुमला के मौसम का भी मिजाज बदल दिया है. दिनभर रिमझिम बारिश हुई. मौसम के करवट बदलने से ठंड का असर शुरू हो गया है. ठंड के साथ ही फुटपाथ पर रह रहे लोग ठंड से ठिठुर रहे हैं.
सबसे बड़ी बात कि हर साल ठंड आती है. ठंड से लोग मरते भी हैं, लेकिन गुमला शहर में अभी तक स्थायी रैन बसेरा की व्यवस्था नहीं की गयी है. खड़िया पाड़ा में भवन बना है, जहां दूर-दराज के लोग आश्रय ले सकते हैं. लेकिन यह शहर से एक किमी की दूरी पर है. अगर प्रशासन द्वारा फुटपाथ पर रहने वाले लोगों को उक्त भवन तक पहुंचाने की व्यवस्था कर दी जाये, तो फुटपाथ में ठिठुर कर जी रहे लोगों को नया आश्रय से मिल सकता है.
वहीं जो मानसिक रूप से विक्षिप्त हैं, उनके इलाज की व्यवस्था भी होनी चाहिए, लेकिन कोई पहल करता नजर नहीं आ रहा है. इस संबंध में मिशन बदलाव के सदस्य भूषण भगत ने कहा कि फुटपाथ में रह रहे लोगों को आश्रय मिले. इस मसले को लेकर जिला प्रशासन व नगर परिषद के अधिकारियों से मिल कर पहल की जायेगी.
अगर प्रशासन मदद नहीं करता है, तो मिशन बदलाव खुद इसके लिए पहल करेगा. इधर, चेंबर ऑफ कॉमर्स के सचिव हिमांशु केसरी ने कहा कि फुटपाथ पर रहने वाले गरीब व मानसिक रूप से विक्षिप्त लोगों को ठोस आश्रय मिले. इसके लिए नगर परिषद को पहल करनी चाहिए. ठंड शुरू होने वाला है. अगर आश्रय नहीं मिला, तो किसी की ठंड से जान भी जा सकती है.

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