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जमीन की क्रय-विक्रय व बाध्यता पर व्यक्तिगत सुझाव हुआ कलमबद्ध

बैठक में जिले के आला अधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ताओं व गैर सरकारी संगठनों सहित स्थानीय सांसद व विधायकों के प्रतिनिधि शामिल हुए गुमला : सीएनटी के पुराना थाना क्षेत्र की अवधारणा तथा उक्त थाना क्षेत्र की भूमि को क्रय-विक्रय के वर्तमान प्रावधान के तहत गैर जनजातियों द्वारा जनजातीय लोगों की भूमि को क्रय-विक्रय करने के मामले […]

बैठक में जिले के आला अधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ताओं व गैर सरकारी संगठनों सहित स्थानीय सांसद व विधायकों के प्रतिनिधि शामिल हुए

गुमला : सीएनटी के पुराना थाना क्षेत्र की अवधारणा तथा उक्त थाना क्षेत्र की भूमि को क्रय-विक्रय के वर्तमान प्रावधान के तहत गैर जनजातियों द्वारा जनजातीय लोगों की भूमि को क्रय-विक्रय करने के मामले को लेकर बुधवार को गुमला के विकास भवन सभागार में जनजातीय परामर्शदातृ परिषद (टीएसी) की उपसमिति की बैठक हुई. अध्यक्षता कल्याण (अल्पसंख्यक कल्याण) महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग के मंत्री सह टीएसी उपसमिति के अध्यक्ष डॉक्टर लुइस मरांडी ने की. साथ में खिजरी विधायक रामकुमार पहान थे. बैठक में जिले के आला अधिकारी, संबंधित प्रक्षेत्रों के बुद्धिजीवियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं व गैर सरकारी संगठनों सहित स्थानीय सांसद व विधायकों के प्रतिनिधि शामिल हुए.
बैठक में डॉ लुइस व टीएसी उपसमिति के सदस्य खिजरी विधायक रामकुमार पहान ने सीएनटी के पुराना थाना क्षेत्र की अवधारणा तथा उक्त थाना क्षेत्र की भूमि को क्रय-विक्रय के वर्तमान प्रावधान के तहत गैर जनजातियों द्वारा जनजातीय लोगों की भूमि को क्रय-विक्रय करने के मामले पर विस्तार से विचार-विमर्श किया. साथ ही बैठक में उपस्थित लोगों से जनजातीय लोगों की भूमि को क्रय-विक्रय करने के संबंध में व्यक्तिगत सुझाव लिया. वहीं डॉ लुइस ने लोगों के सुझाव को कलमबद्ध किया. बैठक में डीसी श्रवण साय, डीडीसी नागेंद्र कुमार सिन्हा,आइटीडीए निदेशक कृष्ण कुमार, एसी आलोक शिकारी कच्छप, डीआरडीए निदेशक मुस्तकीम अंसारी, नैप निदेशक नयनतारा केरकेट्टा व सदर एसडीओ कृष्ण कन्हैया राजहंस सहित कई लोग उपस्थित थे.
थाना क्षेत्र की बाध्यता हटाने पर बल
बैठक में बार एसोसिएशन गुमला की ओर से एसोसिएशन के अध्यक्ष सह सिविल कोर्ट गुमला के अधिवक्ता नंद लाल, अधिवक्ता मदन कुमार साहू, अधिवक्ता अघनु इंदवार, जिला परिषद से जिला परिषद अध्यक्ष किरण माला बाड़ा, जिप सदस्य सुबोध लाल, पूर्व जिप सदस्य हंदु भगत, सांसद प्रतिनिधि सविंद्र सिंह, विधायक प्रतिनिधि जगनारायण सिंह, प्रतिमा देवी, रवींद्र उरांव, आमजनों की ओर से निर्मल गोयल, संजय साहू, नीरज साहू, रणधीर निधि, शकुंतला उरांव, महिला मंडल की ओर से सावित्री मेहता, जिला प्रशासन की ओर से एलआरडीसी अंजना दास आदि ने थाना क्षेत्र की बाध्यता को हटाने पर बल दिया. साथ ही इस बात पर भी बल दिया कि आदिवासी की जमीन को यदि कोई गैर आदिवासी खरीद रहा हो, तो उसके लिए 12 डिसमिल तक जमीन खरीदने का दायरा निर्धारण हो. कहीं ऐसा न हो कि थाना क्षेत्र की बाध्यता हटने के बाद कोई बड़ा नेता अथवा पदाधिकारी आदिवासी की सभी जमीन को खरीद लें. रांची में ऐसा हो चुका है. ऐसी स्थिति में आदिवासी के पास जमीन रहेगी ही नहीं.
सुझाव लेने के बाद लिया जायेगा अंतिम निर्णय : डॉक्टर लुइस
डॉ लुइस मरांडी ने कहा कि राज्य के आदिवासियों के हित के लिए वर्ष 1908 में सीएनटी एक्ट बना था. वर्तमान में भी राज्य में वही एक्ट लागू है, जिससे न केवल आदिवासी, बल्कि गैर आदिवासी समुदाय के लोग भी प्रभावित हो रहे हैं. आदिवासी समुदाय के लोगों के पास जमीन तो है, लेकिन उसे वे बिक्री नहीं कर सकते हैं. घर में बेटी है. बेटी शादी के लायक हो गयी है. शादी करने के लिए पैसे नहीं है. ऐसी परिस्थिति में जमीन बेच कर पैसे की जुगाड़ करते हैं, लेकिन सीएनटी एक्ट के तहत जमीन को गैर आदिवासी से नहीं बेचा जा सकता है. साथ ही सीएनटी एक्ट के तहत पुराना थाना क्षेत्र के अवधारणा के अनुसार जमीन को संबंधित थाना क्षेत्र के अपने ही समुदाय के लोगों से बिक्री की जा सकती है. इसमें बदलाव लाने के लिए कई सांसद, विधायक व आमजनों ने सरकार के समक्ष प्रपोजल रखा है और जमीन के क्रय-विक्रय के लिए थाना क्षेत्र की बाध्यता हटाने अथ0वा थाना क्षेत्र को बढ़ाने की मांग की है. इसे लेकर पहल शुरू करते हुए लोगों से व्यक्तिगत सुझाव लिया जा रहा है. सुझाव लिये जाने के बाद अंतिम निर्णय लिया जायेगा.

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