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माइनर इरिगेशन विभाग :आपस में भिड़े ठेकेदार धक्का-मुक्की व मारपीट
एक घंटे चला हाई-वोल्टेज ड्रामा दुर्जय पासवान गुमला : गुमला के माइनर इरिगेशन विभाग में शुक्रवार को करीब 4.30 बजे ठेकेदार आपस में भिड़ गये. धक्का मुक्की हुई. हल्की मारपीट भी हुई. ठेकेदारों ने एक-दूसरे को देख लेने की धमकी भी दे डाली. करीब एक घंटे तक हाई-वोल्टेज ड्रामा चला. 40 से 45 ठेकेदार थे. […]
एक घंटे चला हाई-वोल्टेज ड्रामा
दुर्जय पासवान
गुमला : गुमला के माइनर इरिगेशन विभाग में शुक्रवार को करीब 4.30 बजे ठेकेदार आपस में भिड़ गये. धक्का मुक्की हुई. हल्की मारपीट भी हुई. ठेकेदारों ने एक-दूसरे को देख लेने की धमकी भी दे डाली. करीब एक घंटे तक हाई-वोल्टेज ड्रामा चला. 40 से 45 ठेकेदार थे.
इसमें कुछ आपस में लड़ रहे थे, तो कुछ मामले को समझौता कराने में लगे हुए थे. किसी प्रकार मामले को सुलझाया गया. हुआ यूं कि माइनर इरिगेशन विभाग से 50 लाख रुपये का टेंडर निकला है. सिसई विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक काम होना है. इसमें गार्डवाल व चहारदीवारी सहित अन्य काम होने हैं. हरेक योजना की लागत दो से तीन लाख व पांच लाख रुपये तक की है, इसलिए कई ठेकेदार टेंडर लेने के लिए विभाग का चक्कर लगा रहे हैं. टेंडर पेपर की बिक्री 14, 15 व 16 फरवरी को होनी थी, लेकिन 14 व 15 फरवरी को पेपर नहीं बिका.
इस कारण 16 फरवरी को अंतिम दिन टेंडर पेपर खरीदने के लिए ठेकेदारों की भीड़ माइनर इरिगेशन के कार्यालय में लग गयी. इसी दौरान कुछ ठेकेदार काम बांट कर करने पर सहमति बना रहे थे, ताकि सभी ठेकेदार एक-दो काम करा कर पैसा कमा सके. इसलिए टेंडर मैनेज करने की प्रक्रिया चल रही थी. इसी दौरान कुछ ठेकेदार आपस में भिड़ गये और मामला गरम हो गया.
नेताजी के कहने पर टेंडर पेपर बिका
जब ठेकेदार आपस में उलझ गये, तो कुछ ठेकेदारों ने लड़ाई व टेंडर पेपर बिक्री होने का अंदरूनी कारण बताया. ठेकेदारों की सुने, तो मामला दिलचस्प है. एक बड़े नेता के कहने पर विभाग दबाव में आ गया और गिने-चुने ठेकेदार को ही टेंडर पेपर दिया. जिनकी पैरवी नहीं थी, उन ठेकेदारों को टेंडर पेपर नहीं मिला.
जबकि जिन ठेकेदारों के ऊपर बड़े नेताजी का आशीर्वाद था, उन्हें पेपर मिल गया. पेपर खरीद बिक्री को लेकर भी ठेकेदारों ने विभाग में जम कर हंगामा किया. अंत में इंजीनियर ने अपना सिर बचाने के लिए कुछ ठेकेदारों को चुपके से टेंडर पेपर दिया, लेकिन बाद में इंजीनियर ने टेंडर को रद्द करने की बात कह दी. इधर, ठेकेदारों ने कहा कि सभी लोगों को टेंडर पेपर नहीं मिला है.
ठेकेदार उलझे, तो अधिकारी व कर्मचारी सहमे
राज्य के एक बड़े नेताजी के कहने पर चुनिंदा ठेकेदारों को टेंडर पेपर दिया गया. इससे मामला तूल पकड़ा. जब विवाद बढ़ा और ठेकेदार आपस में उलझने लगे, तो अधिकारी व कर्मचारी सहम गये. सभी अपने-अपने कार्यालय के अंदर जमे थे. इधर, टेंडर पेपर खरीदने को लेकर लगे जमघट में कई पार्टी के नेताजी भी आये थे.
50 लाख रुपये की लागत से कुछ काम होना है. उसके लिए टेंडर पेपर बेचा गया है. जिस-जिस ने पेपर मांगा, उसे मिला है. कुछ लोग आपस में कार्यालय के बाहर विवाद कर रहे थे.
चंद्रनाथ झा, इइ, माइनर इरिगेशन, गुमला
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