इस गांव में दशहारा पर लगने वाला मेला ऐतिहासिक है. मंदिर प्राचीन काल से स्थित है. यहां श्रद्धालुओं द्वारा जो भी मुरादे मांगीं जाती है, वह पूरी होती है. वर्तमान युवा पीढ़ी हमारी संस्कृति व परंपरा को भूलते जा रही है. इसमें हम अभिभावकों की कमी है.
हमें युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति व परंपरा को बचाने के लिए आगे लाना होगा. साथ ही संस्कृति व सभ्यता के संबंध में जागरूक करना होगा. जिप अध्यक्ष ने कहा कि जतरा हमारे पूर्वजों की धरोहर है. पूर्वजों की परंपरा को सभी आदिवासियों को बचाने की आवश्यकता है. चूंकि हम आदिवासी समाज ही प्रकृति के पूजक होते हैं. इसे बचाने के लिए हम सब को मिल कर प्रयास करना होगा. वर्तमान में युवाओं की भागीदारी भी सुनिश्चित करने की जरूरत है. युवा आने वाली पीढ़ी के भविष्य हैं.
इससे पूर्व आगंतुक अतिथियों को परंपरागत ढंग से समारोह स्थल लाया गया. जहां अतिथियों ने मां भगवती का दर्शन कर क्षेत्र में सुख-शांति व समृद्धि की कामना की. इसके बाद बैच लगा कर व पुष्प गुच्छ भेंट कर उनका स्वागत किया गया. वहीं विभिन्न गांवों ने पारंपरिक रूप से नृत्य-गीत प्रस्तुत किया. इसमें उत्कृष्ट प्रदर्शन करनेवाले खोड़हा दल को पुरस्कार देकर अतिथियों ने सम्मानित किया. वहीं स्वागत भाषण संरक्षक मनमोहन सिंह व धन्यवाद ज्ञापन अमरेश लाल ने किया. मंच का संचालन शिवशंकर साहू व सिकंदर साहू ने संयुक्त रूप से किया. मौके पर मनमोहन सिंह, लक्ष्मीकांत बड़ाइक, दीपक कुमार, गोंदल सिंह, रामविलास साहू, फकीर उरांव, खुदी भगत दुखी, देवकुमार सिंह, रामावतार साहू, फितिया उरांव, रवींद्र सिंह सहित सैकड़ों की संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग मौजूद थे.