उन्होंने कहा कि गुमला व सिमडेगा जिला के लिए आज का दिन ऐतिहासिक दिन है. वर्ष 1981 से वनरक्षियों की बहाली लंबित थी. अब सरकार सभी प्रकार के लंबित मामलों के निष्पादन में लगी हुई है. राज्य के विभिन्न जिलों में 2250 वनरक्षियों को नियुक्ति पत्र देना है. नियुक्ति पत्र देने की प्रक्रिया शुरू है. उन्होंने कहा कि यह केवल एक नियुक्ति पत्र नहीं है, बल्कि नियुक्ति पत्र के रूप में वनरक्षियों को एक बड़ी जिम्मेवारी दी जा रही है. वह जिम्मेवारी है, वनों की रक्षा करना. वनों से पेड़ों की कटाई को रोकना और पर्यावरण को सतुंलित बनाये रखने में सहयोग करना है. उपायुक्त श्रवण साय ने कहा कि वनरक्षी एक विशेष नाम है.
वनरक्षी का मतलब वन की रक्षा करने वाला होता है. वनों को सुरक्षित रखने की आप सबों को जो जिम्मेवारी दी गयी है, उस जिम्मेवारी को आप ईमानदारी पूर्वक निभायें. गुमला डीएफओ अजीत कुमार सिंह ने कहा कि लंबे समय के बाद वनरक्षियों की बहाली हो रही है. पूर्व में गुमला जिले में वनरक्षी का 70 पद स्वीकृत था, लेकिन 10 वनरक्षी ही काम कर रहे थे. इसी प्रकार सिमडेगा में 92 के विरुद्ध मात्र 18 वनरक्षी ही काम कर रहे थे, लेकिन अब सरकार ने वनरक्षी बहाली कर वनों की सुरक्षा की ओर एक विशेष कदम बढ़ाया है.