तपती धूप व बढ़ते तापमान का असर प्रखंड क्षेत्र के नदी, पोखर, कुंआ, तालाब व चापाकल पर देखने को मिल रहा है. जलस्तर नीचे चले जाने से चारों तरफ पानी का हाहाकार मचा है. पीने के पानी के साथ-साथ खेतों की सिंचाई लोगों के लिए बड़ी समस्या बन चुकी है. जलस्तर नीचे चले जाने के कारण लोग सिंचाई का कार्य नहीं कर पा रहे हैं. इस वजह से कृषि कार्य प्रभावित हो रहा है. मालूम हो कि प्रखंड के बोहा पंचायत अंतर्गत खरियानी व पत्थलचट्टी गांव के बीच सरकारी लाल पोखर का भी पानी इन दिनों सूख चुका है. स्थानीय राकेश यादव, राजेश यादव, जितेंद्र यादव, लक्ष्मण यादव, विष्णु यादव, प्रकाश यादव, गोपाल राय, छोटकी देवी, नारिकल देवी, फुटकी देवी, सुगीया देवी, गौरी देवी, पुनी देवी आदि ने बताया कि लाल पोखर का पानी मार्च महीने से ही घटना चालू हो गया था, जो वर्तमान समय में लगभग पूरी तरह सूख चला है. पोखर के बीच में पतली नाला की तरह कीचड़नुमा पानी दिखाई पड़ रहा है. ग्रामीणों ने बताया कि लगभग 1 बीघा 14 कट्ठा की परिधि में फैले लाल पोखर में पानी रहने से आसपास के लगभग 700 बीघा से अधिक कृषि भूमि में पटवन का कार्य हुआ करता था. इसके साथ ही लोगों को स्नान व वस्त्र धुलाई जैसे कार्यों में भी सहूलियत मिलती थी. वहीं क्षेत्र के पशुपालक भी अपने मवेशियों को लाल पोखर में पानी पिलाने पहुंचा करते थे. लेकिन पानी सुख जाने से अब लोगों को घोर परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. ग्रामीणों के मुताबिक आज तक सही तरीके से पोखर में खुदाई का कार्य नहीं हुआ है. बता दें कि एक आंकड़े के मुताबिक पथरगामा प्रखंड के 19 पंचायतों में तकरीबन 352 पोखर व तालाब हैं, जिसमें अधिकांश पोखर, का जलस्तर नीचे जा चुका है. पानी के सूख जाने से इन पोखर व तालाबों की जमीन दिखाई पड़ने लगा है. बताते चलें कि क्षेत्र का मैसा बांध, लाही बांध, योगिनी स्थान स्थित पोखर भी पूरी तरह से सूखकर मैदान बन चुका है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है