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जिम्मेवारी से भाग रहा प्रशासन

सदर अस्पताल में सुविधा नहीं, लोग भुगत रहे खामियजा गोड्डा : तकरीबन 14 लाख की आबादी को स्वास्थ्य सुविधा देने का बीड़ा उठाये जिला सदर अस्पताल मरीजों की जान बचा पाने में असफल हो रहा है. आये दिन प्रसव के दौरान मां और कभी बच्चे की मौत से जिले के लोगों के दिल में खौफ […]

सदर अस्पताल में सुविधा नहीं, लोग भुगत रहे खामियजा

गोड्डा : तकरीबन 14 लाख की आबादी को स्वास्थ्य सुविधा देने का बीड़ा उठाये जिला सदर अस्पताल मरीजों की जान बचा पाने में असफल हो रहा है. आये दिन प्रसव के दौरान मां और कभी बच्चे की मौत से जिले के लोगों के दिल में खौफ पैदा कर दिया है.

दर्जन भर जच्चे-बच्चे की मौत इलाज के दौरान इस अस्पताल में मौत हो चुकी है. लेकिन इसमें सुधार लाने में जिला प्रशासन कोई ठोस उपाय नहीं निकाल पा रही. यदि इलाज की समुचित व्यवस्था व सतर्कता होती तो शायद इतनी जानें बचायी जा सकती है.

प्राय: सभी मामलों में मौत का कारण इलाज में लापरवाही देखी गयी है. सुविधा के नाम पर सदर अस्पताल में लाखों का फंड आया लेकिन सुविधा नहीं बढ़ी. नतीजतन इसका खामियाजा लोग भुगत रहे हैं.

चार बार बने मंत्री, बावजूद ब्लड बैंक नहीं

राज्य गठन के साथ जिले में दो विधायक चार बार मंत्री बने. दो बार विधायक प्रदीप यादव ग्रामीण विकास तथा शिक्षा मंत्री व हेमलाल मुमरू शिक्षा तथा स्वास्थ्य मंत्री के पद पर रहकर जिले की स्थिति से रूबरू हुए.

इन मंत्रियों ने अपनी ओर से प्रयास करने के बावजूद बल्ड बैंक की स्थापना नहीं करा पाये.

शिलान्यास हुआ भवन नहीं बना

वर्ष 2002 में तात्कालीन ग्रामीण विकास मंत्री प्रदीप यादव के साथ मुख्यमंत्री बाबू लाल मरांडी ने 100 बेड अस्पताल की आधार शिला रखी थी. पुन: वर्ष 2005 में शिक्षा मंत्री रहते श्री यादव सौ को बढ़ाकर तीन सौ बेड का शिलान्यास किया, लेकिन विवाद के कारण भवन नहीं बन पाया.

स्वास्थ्य मंत्री हेमलाल मुमरू ने वर्ष 2011 में 100 बेड अस्पताल क ी आधार शिला रखी. दो वर्ष बीत जाने के बाद अब तक भवन बनकर तैयार नहीं हो पाया है. तीन बार कार्य का एक्सटेशन के बावजूद स्थिति जस की तस.

बेकार पड़ा एक करोड़ का उपकरण

भवन की आधार शिला के साथ ही बड़े पैमाने पर एनआरएचएम की राशि से स्वास्थ्य उपस्कर की खरीदारी की गयी. 2011 में खरीदे गये एक करोड़ का एपरेटस का हाल बुरा है. भवन के अभाव में सिस्टम बेकार पड़ा है.

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