एसीबी की टीम को आवेदन देनेवाले सुरेश हाजरा की पत्नी उषा देवी एवं उनके भतीजे राजकुमार हाजरा की पत्नी दिव्या कुमारी ने बताया कि उन दोनों को अबुआ आवास एवं पीएम आवास योजना का लाभ मिला था. दोनों आवास पूर्ण हो गये थे. इसमें मनरेगा योजना मद से मजदूरी का भुगतान लगभग 20 हजार रुपये बाकी था. उसी के भुगतान के लिए रोजगार सेवक द्वारा जियो टैग किया जाना था. जियो टैग होने के बाद लाभुक के खाते में उक्त राशि ट्रांसफर की जाती.
जिओ टैग करने के लिए मांगी गयी थी रिश्वत
इसी जियो टैग को करने के लिए ही रोजगार सेवक राजेश कुमार साव द्वारा उनके पति से रिश्वत मांगी गई थी. तब उन्होंने कहा था कि मजदूरी मिलने के बाद वे रुपये दे देंगे, मगर उसने एक नहीं सुनी. तब बाध्य होकर एसीबी की शरण में जानी पड़ी. इधर मुखिया देवी दास ने बताया कि हम सभी पंचायत वासियों से कह चुके हैं कि प्रखंड से किसी कर्मी को आवास दिलाने के नाम पर रुपये नहीं देना है. इसके बाद भी लाभुक ऐन केन प्रकारेण कर्मियों को रुपये दे रहे हैं. उन्होंने लोगों से अपील की कि अगर आवास के एवज में पंचायत के किसी कर्मी द्वारा राशि मांगी जाती है, तो नहीं दें और इसकी सूचना मुझे दें.
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