बगोदर. बगोदर प्रखंड के खेतको में चैती वासंती दुर्गोत्सव अंग्रेजी हुकूमत के शासनकाल से की जा रही है. यहां की पूजा वैष्णव तरीके से मनाये जाते के लिए प्रसिद्ध है. खेतको गांव प्रखंड मुख्यालय से 25 किमी दूर है. यहां प्रतिवर्ष चैती दुर्गापूजा धूमधाम से मनायी जाती है.शुक्रवार को मां दुर्गा के चौथे रूप मां कूष्मांडा की पूजा अर्चना की गयी. माता का दरबार लोगों के लिए सप्तमी तिथि को खुलता है ब्रिटिश शासन काल में वर्ष 1897 से प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जाती है. स्थानीय मुखिया शालीग्राम प्रसाद ने बताया कि पूजा आरंभ को लेकर एक किंवदंती है कि गांव में महामारी फैली हुई थी. उस समय गांव के मगन धोबी को माताजी ने सपना दिया था कि चैती दुर्गा पूजा करने से राहत मिलेगी. इसके बाद उन्होंने तीन वर्षों तक अकेले पूजा की. तीन वर्ष बाद उन्होंने अकेले पूजा करने में असमर्थता जतायी, तो ग्रामीणों ने प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चना करने लगे. शुरुआत के दौर में खेतको में कपड़ा से स्थल घेरकर पूजा होती थी.
ग्रामीणों के सहयोग से बना मंदिर