नप कर्मियों की हड़ताल को उचित व अनुचित ठहराने को लेकर नप प्रांगण में परिचर्चा का आयोजन किया गया. जनप्रतिनिधियों ने हड़ताली कर्मियों के प्रति सकारात्मक रुख अख्तियार करने की जरूरत बतायी. परिचर्चा में नप अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सांसद, विधायक व सभी वार्ड पार्षद शामिल नहीं होने पर झारखंड लोकल बॉडीज इंप्लाइज फेडरेशन के सदस्य मायूस दिखे. गिरिडीह. झारखंड लोकल बॉडीज इंप्लाइज फेडरेशन गिरिडीह शाखा की ओर से सोमवार को नगर पर्षद प्रांगण में नप कर्मियों की हड़ताल को लेकर परिचर्चा हुई. इस दौरान जनप्रतिनिधियों के समक्ष राज्यव्यापी हड़ताल पर गये कर्मियों की पांच सूत्री मांगों को रखा गया.
साथ ही पूर्व में नगर विकास मंत्री सीपी सिंह की उपस्थिति में हुए समझौते से भी जनप्रतिनिधियों को अवगत कराया गया. परिचर्चा के दौरान हड़ताली कर्मियों ने स्पष्ट रूप से कहा कि अगर गिरिडीह के प्रबुद्ध लोग व जनप्रतिनिधि कहेंगे कि हड़ताल उचित नहीं है तो इसे तुरंत समाप्त कर दिया जायेगा. हड़ताली कर्मियों की बातों को सुनने के बाद जनप्रतिनिधियों ने सरकार से सकारात्मक फैसला लेने को लेकर विचार-विमर्श करने की अपील की.
आश्वासन के बाद भी पूरी नहीं हुई मांगें
झारखंड लोकल बॉडीज इंप्लाइज फेडरेशन के राज्याध्यक्ष अशोक कुमार सिंह ने कहा कि सरकार ने पूर्व में मांगों को लेकर समझौता कर मंत्री परिषद में प्रस्ताव पारित भी किया था. सरकार की ओर से आश्वासन दिया गया था कि एक माह के अंदर उन लोगों की मांगों को पूरा कर दिया जायेगा. परंतु आज तक मांगें पूरी नहीं की गयी है. श्री सिंह ने कहा कि यह हड़ताल सरकार के वादाखिलाफी के विरुद्ध है. वर्षों से नगर विकास व आवास विभाग एवं झारखंड सरकार की उपेक्षापूर्ण नीति के कारण राज्य के तमाम नगर निकाय, नगर निगम, नगर पंचायत, नगर परिषद में दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी का समायोजन नहीं हो पाया है.
आश्रितों को अनुकंपा के आधार पर नौकरी भी नहीं मिल पायी है. सेवानिवृत्त कर्मचारी-मजदूरों को राशि के अभाव में ग्रेच्यूटी, पेंशन व बकाया का भुगतान नहीं हो पा रहा है. विगत दिनों मुख्यमंत्री व नगर विकास एवं आवास मंत्री के आवास के समक्ष भूख हड़ताल भी की गयी थी. मंत्री ने वार्ता कर भरोसा दिलाया था. लेकिन आज तक कोई मांगें पूरी नहीं हुई.
हड़ताली कर्मियों की मांगें जायज
वार्ड पार्षद बाबुल प्रसाद गुप्ता ने कहा कि सफाई कर्मियों की परेशानी से अवगत हूं. पूर्व में संबंधित विभाग के मंत्री से आग्रह किया गया था कि इन लोगों की मांगों को पूरी की जाये. कहा कि अगर कैबिनेट में फैसला होने के बाद भी मांगों को पूरा नहीं किया जाता है तो नगर विकास सचिव पर कार्रवाई होनी चाहिए. सरकार को इसे गंभीरता से लेना चाहिए. सरकार को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि डॉक्टर, सफाई कर्मी व अन्य विभाग के कर्मी हड़ताल पर न जाये. छठ और दीपावली नजदीक है. ऐसे में शहर की सफाई जरूरी है. वार्ड पार्षद मुकेश साहू, पूनम वर्णवाल, विजेंद्र यादव ने भी हड़ताली कर्मियों की मांगों को जायज ठहराते हुए कहा कि उक्त मांगों को लेकर सरकार को सकारात्मक रूख अख्तियार करने की जरूरत है. मामले को लेकर वार्ड पार्षद भी हस्ताक्षर अभियान चलायेंगे.
मौके पर इनके अलावा झाविमो नगर अध्यक्ष नवीन सिन्हा, अजयकांत झा, अधिवक्ता शिवाजी सिंह ने भी अपने-अपने विचार रखे. ये थे मौजूदमौके पर रामकुमार सिन्हा, प्रदीप कुमार, लखन हरिजन, रघुनंदन विश्वकर्मा, लखन शर्मा, केदार हाड़ी, सब्बीर अंसारी, अशोक हाड़ी, राजेश अग्रवाल, राजेश वर्मा, गौरीशंकर यादव, निशा सिन्हा, इशरत समेत नप कर्मी, सफाई कर्मी आदि मौजूद थे. बॉक्सपरिचर्चा में शामिल नहीं हुए नप अध्यक्ष-उपाध्यक्षगिरिडीह. परिचर्चा को लेकर उम्मीद जतायी जा रही थी कि इसमें सांसद, विधायक, नप अध्यक्ष, उपाध्यक्ष समेत तमाम वार्ड पार्षद एवं शहर के अधिकाधिक बुद्धिजीवी भाग लेंगे.
परंतु ऐसा देखने को नहीं मिला. परिचर्चा में अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के अलावा अधिकांश वार्ड पार्षद व जनप्रतिनिधि नदारद रहे. कुछ वार्ड पार्षद ही इसमें भाग लिये. हालांकि मौजूद लोगों ने नप कर्मियों की मांगों को जायज ठहराते हुए सरकार से मामले पर सकारात्मक रूख अख्तियार करने की मांग की. साथ ही जिन अधिकारियों के कारण समझौता के बाद भी मांगें पूरी नहीं हो पा रही है, उनके खिलाफ नगर विकास विभाग के मंत्री से कार्रवाई की मांग की गयी. इस संबंध में कर्मचारी नेता अशोक सिंह ने कहा कि ज्वलंत मुद्दा पर फेडरेशन ने परिचर्चा आयोजित की थी. इसमें सबों को आना चाहिए था.