– प्रमोद अंबष्ट –
गिरिडीह : वर्ष 2013-14 सर्वशिक्षा अभियान के लिए कटौती का वर्ष रहा. बजट में कटौती के कारण जहां कई विकास योजनाएं प्रभावित हुईं, वहीं इस वित्तीय वर्ष में राशि नहीं रहने के कारण असैनिक कार्य के तहत नये स्कूल भवन का निर्माण ठप रहा. हालांकि इस वित्तीय वर्ष के लिए सर्वशिक्षा अभियान द्वारा 220 करोड़ का प्रस्तावित बजट बनाया गया था.
इसके तहत 90 करोड़ की राशि असैनिक कार्य के स्कूल भवन निर्माण में खर्च करना था. बजट की स्वीकृति के लिए राज्य व केंद्र सरकार के पास भेजा गया. लेकिन केंद्र सरकार ने 220 करोड़ के बजट में 104 करोड़ पारित किया. पारित बजट में 90 करोड़ के बदले 24.75 करोड़ स्कूल भवन निर्माण के खर्च में रखे गये. इस कारण कई विद्यालयों में वर्ग कक्ष का निर्माण नहीं हो सका.
पेयजल के साथ-साथ शौचालय भी प्रभावित रहा और कई विद्यालयों की चहारदीवारी नहीं बन सकी. इसी प्रकार सरकार ने सरकारी व पारा शिक्षकों के प्रशिक्षण मद में 1.69 करोड़ व पारा शिक्षकों के मानदेय मद में 58.94 करोड़ का बजट पारित किया. एनपीजीइएल के क्रियान्वयन में सरकार ने फूटी कौड़ी नहीं दी, जबकि कस्तूरबा विद्यालय के लिए सरकार ने 3.36 करोड़ का बजट पारित किया.
पिछले वित्तीय वर्ष में जहां सरकार ने स्कूल भवन निर्माण में 120 करोड़ का बजट पारित किया था. इसके बदले इस वर्ष मात्र 24.75 करोड़ का बजट लिये जाने से कई विकास योजनाएं प्रभावित रही हैं. हालांकि स्कूल भवन निर्माण में 10 करोड़ की राशि का समायोजन अब-तक विभागीय स्तर पर अधर में लटका हुआ है.
कई जगहों पर स्कूल भवन निर्माण के लिए जमीन नहीं है और कहीं आपसी विवाद के कारण स्कूल भवन नहीं बन रहे हैं. हालांकि विभागीय अधिकारी स्कूल भवन निर्माण के लिए सतत प्रयत्नशील भी है, लेकिन 220 करोड़ के बजट में 104 करोड़ का बजट पारित किये जाने के कारण वे चाह कर भी कई योजनाएं पूरी नहीं करवा पा रहे हैं. विभागीय अधिकारियों का कहना है कि अगले वित्त वर्ष 2014-15 में सरकारी स्तर से अधिक बजट मिलने के बाद ही कई विकास योजनाएं क्रियान्वित हो सकती हैं.
जिला स्तर पर बजट बनाने की कवायद शुरू भी की गयी है. झारखंड शिक्षा परियोजना के अधिकारियों ने प्रस्तावित बजट बनाने का निर्देश भी दे रखा है. अब देखना यह है कि अगले वित्तीय वर्ष में सर्वशिक्षा अभियान को बजट में कितनी राशि मिल सकती है.