– राकेश सिन्हा –
गिरिडीह : मरीजों में डेंगू के लक्षण पाये जाने के बाद स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन ने बचाव के उपाय का प्रयास तो शुरू कर दिया है पर मरीज डेंगू से ही पीड़ित हैं, इस बात की संपुष्टि के लिए स्वास्थ्य विभाग ने अब तक कोई कदम नहीं उठाया है.
गिरिडीह शहर के बरगंडा मुहल्ले में तीन मरीजों की एनएस-1 टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद यह मामला सुर्खियों में है, लेकिन इस मामले को लेकर चिकित्सकों में मतभेद बरकरार है.
गिरिडीह के सिविल सजर्न डॉ चंद्रप्रकाश विभाकर मरीजों के डेंगू से पीड़ित होने की बात से साफ इंकार करते हैं, जबकि इन मरीजों का इलाज कर रहे डॉ एस सन्याल का स्पष्ट कहना है कि पीड़ित मरीज डेंगू से ग्रसित हैं और इसका इलाज बहुत ही मामूली है. लेकिन यह फैले नहीं और स्थिति अनियंत्रित न हो इसके लिए जरूरी है कि आवश्यक एहतियाती कदम उठाये जाय.
वैसे स्वास्थ्य विभाग ने शहरी क्षेत्र में जागरूकता अभियान शुरू कर दिया है. डेंगू के लक्षण और उपाय से संबंधित पोस्टर जगह–जगह लगाये जा रहे हैं. सदर अस्पताल के कई इलाके के साथ–साथ बरगंडा मुहल्ले में भी पोस्टर चिपकाया गया है.
लेकिन एक चिकित्सक का ही कहना है कि स्वास्थ्य विभाग ने एहतियात कदम उठाया तो जरूर है पर जिन मरीजों में डेंगू के लक्षण पाये गये हैं या जिनकी एनएस-1 एंटीजन टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आयी है, इसकी संपुष्टि के लिए विभाग ने या सरकार ने अब तक कोई कदम नहीं उठाया है.
जिस एक मरीज को रिम्स रेफर किया गया था उसका एलाइजा एम निगेटिव आया है पर जो दो अन्य मरीज इसी शहर के हैं वह डेंगू से ही पीड़ित है, इस बात की जांच किये बिना कहा जा रहा है कि डेंगू नहीं है. इसे स्पष्ट करने के लिए विभाग को पहल करना चाहिए.
विशेषज्ञों का कहना है कि एनएस-1 पॉजिटिव आने के बाद मरीज ठीक भी हो जाता है, लेकिन इस तरह के मरीज का एलाइजा टेस्ट छह माह के भीतर करने पर भी डेंगू की संपुष्टि की जा सकती है. ऐसे मरीजों को पूरी तरह से निगरानी में रखा जाता है और समय–समय पर एलाइजा टेस्ट कराया जाता है.