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गिरिडीह : पर्यटकों को खींच लाती हैं खूबसूरत वादियां

तोपचांची : हरे-भरे जंगलों और पहाड़ों से घिरे होने की वजह से यह एक खूबसूरत पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है. झील के आसपास के प्राकृतिक दृश्य और कुछ अनूठे कार्य पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. यहां का शांत वातावरण आगंतुकों को खासा भाता है. अगर आप अपने परिवार के साथ […]

तोपचांची : हरे-भरे जंगलों और पहाड़ों से घिरे होने की वजह से यह एक खूबसूरत पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है. झील के आसपास के प्राकृतिक दृश्य और कुछ अनूठे कार्य पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं.
यहां का शांत वातावरण आगंतुकों को खासा भाता है. अगर आप अपने परिवार के साथ कुछ यादगार पल बिताना चाहते हैं तो तोपचांची झील की प्राकृतिक वादियों में आपको आना ही होगा.
यह खूबसूरत जगह धनबाद जिला मुख्यालय से 36 किमी दूर जीटी रोड पर स्थित है. समुद्र तल से 304 मीटर की ऊंचाई पर बसे तोपचांची की यह झील लोक महत्व का भी है. पहाड़ों से उतर कर आने वाला मीठा पानी हजारों लोगों की प्यास बुझाता है. नेशनल हाइवे के उत्तर 500 मीटर की दूरी पर छह किमी क्षेत्रफल में फैले विशाल डैम से सटी पहाड़ियाें की शृंखला है.
ऊंची पहाड़ियों के घने जंगल देवदार, चंदन, जामुन, शीशम, पीपल, बड़, आम, लीची, नीम, लिप्ट्स आदि से भरे पड़े हैं. ये पेड़ झूम-झूम कर प्राकृतिक सुंदरता की कहानी बयां करते हैं. कुछ तो खास है, तभी डैम देखने, पिकनिक मनाने राज्य के अंदर-बाहर से बड़ी संख्या में सैलानी नववर्ष पर आते हैं. झील स्कूली बच्चों, राजनेताओं, प्रशासनिक अधिकारियों व फिल्म अभिनेताओं का भी पसंदीदा स्थान है. यहां अक्सर शूटिंग होती रहती है.
अभिनेता-निर्माताओं की रही है पसंद
डैम की सुंदरता एवं प्राकृतिक छटा देख कर बंगाल के सुप्रसिद्ध अभिनेता व फिल्म निर्माता उत्तम कुमार ने यहां आधा दर्जन बांग्ला फिल्मों की शूटिंग की थी. अभिनेता अशोक कुमार, मजहर खान, गिरीश कर्नाड, सुचित्रा सेन, सुप्रिया चौधरी, धर्मेंद्र पर भी कई फिल्में शूट की गयी हैं.
अक्सर खोरठा एवं भोजपुरी अलबम तथा फिल्मों की शूटिंग होती रहती है. हिंदी फिल्म ‘संपर्क’ जो रिलीज नहीं हो पायी, मुहब्बत जिंदगी है, भोजपुरी फिल्म सोलह शृंगार करे दुल्हिनिया, बांग्ला फिल्म अग्निश्वर, हॉस्पिटल, नुतून तीर्थ, सहित अनेक फिल्मों के अंश यहां फिल्माये गये हैं.
90 वर्ष हो चली डैम की उम्र
तोपचांची डैम के निर्माण का कार्य वर्ष 1923 में प्रारंभ हुआ था. 15 नवंबर, 1924 को उड़ीसा, बंगाल एवं बिहार के गर्वनर हेनरी व्हीलर ने जनता को समर्पित किया. तब धनबाद प. बंगाल के मानभूम जिला का हिस्सा था. जानकारों की मानें तो तोपचांची प्रखंड की दुमदुमी पंचायत के कानाडीह, पिपराटांड़, धर्मदाहा, राजदाहा व कुसुमडीहा बस्ती को उजाड़ कर जलाशय का निर्माण किया गया था.
प्रवासी परिंदों के कलरव से झील गुलजार
झील की सुंदरता पर विदेशी पक्षी भी फिदा रहते हैं. हर वर्ष दिसंबर महीने में यहां हजारों की संख्या में साइबेरियन पक्षी मीलों उड़ कर यहां आते हैं. पूरी ठंड गुजारने के बाद मार्च माह के अंत में अपने ठिकाने की ओर लौट जाते हैं. ये साइबेरियन पक्षी झील की सुंदरता में चार चांद लगाते हैं.
सालों भर आते रहते हैं सैलानी
जीटी रोड पर स्थित होने के कारण यहां पहुंचना काफी आसान है. तोपचांची गोमो जंक्शन से 10 किमी, धनबाद जंक्शन से चालीस किमी, धनबाद बस स्टैंड से 33 किमी, बोकारो से 50 किमी, कतरास से 20 किमी पर है.
क्या-क्या देखें
पानी से लबालब झील की सुंदरता, उत्तर छोर का पेवेलियन, झील गृह, रेस्ट हाउस, वाच टावर से विहंगम दृश्य, पारसनाथ मंदिर की चोटी का अद्भुत नजारा, गुरुत्वाकर्षण से पानी फिल्टरेशन, लीची बागान, ढोलकट्टा, ललकी, सीता और हथिया नाला आदि पहाड़ी से आने वाला झरना का पानी.
ठहरने की न करें चिंता
पर्यटकों के ठहरने के लिए तोपचांची स्थित माडा के सी ब्लॉक एवं लेक हाउस में ठहरने की समुचित व्यवस्था है. वहीं जीटी रोड पर कई होटल हैं, जहां ठहरा जा सकता है. यहां खाने-पीने की भी बेहतर व्यवस्था है. धनबाद जिला मुख्यालय में भी ठहरने के कई विकल्प मौजूद हैं.

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