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रद्द नामांकन पत्र वैध करार देेने पर वकीलों का हंगामा
गिरिडीह : जिला अधिवक्ता संघ चुनाव को लेकर गुरुवार को भी वकालत खाना में दिन भर गहमागहमी रही. सभी अधिवक्ता चुनाव के प्रचार-प्रसार में व्यस्त थे. इसके पूर्व बुधवार को जिला अधिवक्ता संघ चुनाव की स्क्रूटनी के क्रम में चुनाव पदाधिकारी महेंद्र देव, विजय कुमार सिन्हा व अर्जुन प्रसाद ने चार उम्मीदवारों के नामांकन पत्र […]
गिरिडीह : जिला अधिवक्ता संघ चुनाव को लेकर गुरुवार को भी वकालत खाना में दिन भर गहमागहमी रही. सभी अधिवक्ता चुनाव के प्रचार-प्रसार में व्यस्त थे. इसके पूर्व बुधवार को जिला अधिवक्ता संघ चुनाव की स्क्रूटनी के क्रम में चुनाव पदाधिकारी महेंद्र देव, विजय कुमार सिन्हा व अर्जुन प्रसाद ने चार उम्मीदवारों के नामांकन पत्र में तकनीकी त्रुटि पाने के बाद उनके नामांकन पत्रों को रद्द कर दिया था.
इन उम्मीदवारों में अध्यक्ष पद के उम्मीदवार हरिहर प्रसाद, संयुक्त सचिव प्रशासन पद के उम्मीदवार पंचानन मुनी, संयुक्त सचिव (लाइब्रेरी) पद के उम्मीदवार संजय कुमार तथा कार्यकारिणी सदस्य के उम्मीदवार बिनोद कुमार पासवान शामिल थे. बाद में रिटर्निंग ऑफिसर ने बुधवार की देर शाम को संयुक्त रूप से रद्द किये गये चारों नामांकन पत्र को वैध करार दे दिया.
कहा कि चुनाव ऑब्जर्वर ने कहा है कि मामूली त्रुटि के कारण किसी उम्मीदवार का नामांकन रद्द नहीं किया जाये. इस संबंध में आरओ महेंद्र देव ने कहा कि मॉडल रूल के अनुसार यह कदम उठाया गया है, जिसमें ऑब्जर्वर से परामर्श भी लिया गया था. रद्द नामांकन पत्र को स्वीकार किये जाने की सूचना भी वकालतखाना के विभिन्न सूचना पटों पर चिपका दी गयी है. चुनाव पदाधिकारियों के इस निर्णय पर कई लोगों ने आपत्ति भी दर्ज करायी है और इस मामले को लेकर अधिवक्ताओं में आक्रोश भी देखा जा रहा है.
इधर, रद्द नामांकन को वैद्य करार देने पर कई अधिवक्ताओं ने गुुरुवार काे भी हो-हल्ला कर आक्रोश जताया. काफी देर तक वकालत खाना में अधिवक्ताओं का हाइवोल्टेज ड्रामा चलता रहा. अधिवक्ताओं का कहना था कि प्रावधान के मुताबिक जो अधिवक्ता चुनाव लड़ेंगे वे किसी के प्रस्तावक नहीं बन सकते. ऐसे नामांकन को भी स्वीकार कर लिया गया है. जिन अधिवक्ताओं के सीरियल नंबर में त्रुटि पायी गयी उसे भी स्वीकार कर लिया गया.
रद्द नामांकन पुन: स्वीकार करना अनुचित : राजीव
अधिवक्ता राजीव कुमार ने कहा कि विभिन्न त्रुटियों के कारण चार लोगों का नामांकन रद्द कर दिया गया था और इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी गयी थी. अधिसूचना जारी होने के बाद नामांकन पुन: स्वीकार करना अनुचित कदम है. कहा कि नियम को ताक पर रखकर यह कदम उठाया गया है.
जब नामांकन पत्र रद्द किया गया तो उसके बाद भी किसी के द्वारा आपत्ति तक दर्ज नहीं करायी गयी. उन्होंने कहा कि सिर्फ मोबाइल पर बातचीत करने का हवाला देकर रद्द नामांकन पत्र को पुन: वैध करार दिया जाना चुनाव पदाधिकारियों की मनमानी है. साथ ही कहा कि ऑब्जर्वर चुनाव समिति के सदस्य भी नहीं होते हैं तो उनके निर्देश पर इस तरह के फैसले कैसे लिये जा सकते हैं. श्री कुमार ने आपत्ति दर्ज करते हुए स्टेट बार काउंसिल को भी पत्र लिखा है और इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है.
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