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अंधेरे में रहना गावां वासियों की नियति

परेशानी. वादे बड़े-बड़े, पर बिजली संकट यथावत गावां प्रखंड के लोग भारी बिजली संकट से जूझ रहे हैं. हवा के साधारण झोंके भी तार व खंभों के लिए झेल पाना मुश्किल है. एक बार यदि कहीं तार टूटकर गिरा तो फिर उसका जुटना मुश्किल है. बिजली कुछ स्थानीय निजी मिस्त्रियों के रहमो करम पर ही […]

परेशानी. वादे बड़े-बड़े, पर बिजली संकट यथावत
गावां प्रखंड के लोग भारी बिजली संकट से जूझ रहे हैं. हवा के साधारण झोंके भी तार व खंभों के लिए झेल पाना मुश्किल है. एक बार यदि कहीं तार टूटकर गिरा तो फिर उसका जुटना मुश्किल है. बिजली कुछ स्थानीय निजी मिस्त्रियों के रहमो करम पर ही मिलती है
गावां : गावां प्रखंड में बिजली संकट कोई नयी समस्या नहीं है. लगभग डेढ़ दशक से गावां प्रखंड गंभीर बिजली संकट के दौर से गुजर रहा है.
वर्ष 2016 में विधायक राजकुमार यादव की पहल पर गावां प्रखंड को मार्च 2016 में गिरिडीह से बिजली आपूर्ति शुरू हुई. इसके बाद कुछ हद तक बिजली संकट का समाधान होता दिखा था, परंतु एक बार फिर विभाग के कुप्रबंधन के कारण बिजली समस्या से दो-चार होना पड़ रहा है. आलम यह है कि गावां में बिजली सब स्टेशन में पावर रहते हुए भी क्षेत्र में अंधेरा पसरा रहता है.
कई गांवों में एक सप्ताह से पसरा है अंधेरा: ग्रामीण क्षेत्रों की बात तो दूर, स्वयं प्रखंड मुख्यालय गावां में एक सप्ताह से बिजली गुल है. बताया जा रहा है कि ट्रांसफार्मर के जल जाने से समस्या उत्पन्न हुई है.
इसी प्रकार खास पिहरा, खेरडा, बाराडीह जगदीशपुर, सरैयादह आदि गांवों की बिजली पिछले पांच दिनों से गुल है. बताया जाता है कि पांच दिनों पूर्व पिहरा के पास 33 हजार वोल्ट का एक तार गिर गया है. एक स्थानीय मिस्त्री ने कनेक्शन खोल दिया. पांच दिनों के बाद भी तार को जोड़ने के लिए कोई कर्मी नहीं पहुंच पाया है. बड़ी समस्या यह है कि यहां वर्षों पूर्व लगाये गये तार खंभे आदि काफी जर्जर हो चुके हैं.
इस कारण भी यह समस्या उत्पन्न होती रहती है. यदि कहीं तार गिर गया तो कई दिनों तक उसे जोड़ने के लिए कोई कर्मी नहीं आता. यदि किसी मुहल्ले में कोई खराबी आती है तो लोगों को गांव में चंदा करके किसी निजी मिस्त्री से बनवाना पड़ता है.
त्रिपाल से हो रही उपकरणों की सुरक्षा : गावां स्थित विद्युत विभाग का कार्यालय इस समय स्वयं बीमार है. कार्यालय का भवन काफी जर्जर है. भवन का फर्श पूरी तरह उखड़ चुका है व छत का प्लास्टर टूटकर गिरता रहता है. सभी कमरों में बरसात का पानी भी टपकता रहता है. स्थिति यह है कि कार्यालय में महंगे उपकरणों की रक्षा त्रिपाल से ढंक कर की जा रही है. कर्मियों के आवास की हालत भी काफी खराब है.
बेंगाबाद. गत एक पखवारे से बेंगाबाद क्षेत्र की बिजली व्यवस्था सुधरने का नाम नहीं ले रही. क्षेत्र में बिजली के लिए हाहाकार मचा है और विभाग के कर्मी चैन की नींद सो रहे हैं. बेंगाबाद के फीडर नंबर-तीन में जहां पिछले 11 दिनों से बिजली व्यवस्था ठप है, वहीं अन्य फीडरों की भी स्थिति कमोबेश एक जैसी है.
कई गांवों के ट्रांसफॉर्मर जले : सूत्रों की मानें तो बिजली विभाग के मेन डेज कर्मियों के हड़ताल में जाने के बाद निजी मिस्त्री के सहारे बिजली का काम चल रहा है. इधर, बेंगाबाद के दामोदरडीह गांव में ट्रांसफॉर्मर के जल जाने से एक हजार से अधिक की आबादी प्रभावित हो रही है.
इसके अलावे हरलाटोल सहित कई अन्य गांवों में वर्षों से ट्रांसफॉर्मर जला हुआ है. इसकी सुधि लेने वाला कोई नहीं है. इधर, बिजली व्यवस्था के चौपट हो जाने से ग्रामीणों में विभाग के प्रति रोष बढ़ता जा रहा है. बिजली वसूली के मासिक कैंप में भी विरोध के स्वर उठने लगे हैं. इस बाबत विभाग के जेइ गोविंद महतो से संपर्क किया गया तो उनका मोबाइल पिछले 48 घंटे से स्विच ऑफ मिला.
फीडर तीन में बिजली आयी : 10 दिनों से ठप फीडर-तीन में रविवार को बिजली आ गयी. इस बाबत विद्युत विभाग के कार्यपालक अभियंता पीके झा ने शनिवार को विद्युतापूर्ति का भरोसा दिया था. फीडर तीन के लोग 10 दिन बाद आयी बिजली के बाद लो-वोल्टेज की परेशानी से परेशान हैं.

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