गढ़वा प्रखंड के दूबेमरहटिया गांव निवासी शरीर के कई हिस्सों से दिव्यांग अशोक दुबे किसी तरह अपने जीवन की गाड़ी खींच रहा है़ परिवार में कोई उसका सदस्य नहीं होने के कारण वह पूरी तरह से दूसरे पर निर्भर है़ उसे गढ़वा समाहरणालय आने के लिए भी भाड़े पर आदमी खोजना पड़ता है़
सोमवार को वह एक युवक को 100 रुपये देकर समाहरणालय तक टांग कर पहुंचाने के लिए तय किया था़ वह समाहरणालय में अपने दिव्यांगता पेंशन में सुधार के लिए पहुंचा हुआ था़ उसने बताया कि वह प्रतिदिन दो बाल्टी पानी 10 रुपये में भरवाता है तथा भोजन 10 रुपये में दूसरे से बनवाता है़ उसे जो दिव्यांग पेंशन मिलता है, उसी पर वह पूरी तरह से निर्भर है. उसी पैसे से वह सामान मंगाता है तथा दूसरे से बनवा कर किसी तरह गुजारा कर रहे हैं.