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धड़ल्ले हो रही है बालू की चोरी

अनदेखी. जिले के सभी 49 घाटों से बालू उठाव पर लगी है रोक खनन विभाग की ओर से गढ़वा जिले में 49 बालू घाट चिह्नित किये गये हैं. इसमें से 19 बालू घाट की नीलामी कर ली गयी है. बाकी बचे हुए हैं. जिन घाटों की नीलामी हुई है, उनका भी क्लियरेंस नहीं लिया गया […]

अनदेखी. जिले के सभी 49 घाटों से बालू उठाव पर लगी है रोक
खनन विभाग की ओर से गढ़वा जिले में 49 बालू घाट चिह्नित किये गये हैं. इसमें से 19 बालू घाट की नीलामी कर ली गयी है. बाकी बचे हुए हैं. जिन घाटों की नीलामी हुई है, उनका भी क्लियरेंस नहीं लिया गया है. इसलिए बालू उठाव का काम रोक दिया गया है. दूसरी तरफ, मकान का निर्माण धड़ल्ले से हो रहा है. यानी बालू की चोरी हो रही है.
गढ़वा : गढ़वा जिले की सरकारी योजनाओं में गैरकानूनी तरीके से बालू खरीद का इस्तेमाल किया जा रहा है. गढ़वा जिले के किसी भी नदी घाट से बालू उठाव की अनुमति नही है. इसके बावजूद धड़ल्ले से आम लोग अपना घर बनाने के साथ-साथ सरकारी भवन के निर्माण में ठेकेदार बालू का उपयोग कर रहे हैं.
अवैध रूप से बालू का उठाव दानरो, कोयल, सोन, तहले, बांकी, कनहर नदी, यूरिया आदि नदियों से हो रही है, जिसका उपयोग इंदिरा आवास योजना निर्माण, शौचालय निर्माण सहित भवन निर्माण विभाग, विशेष प्रमंडल, ग्रामीण विकास विभाग, एनआरइपी, जिला परिषद व शिक्षा विभाग से बन रहे भवन आदि में किया जा रहा है. बालू उठाव पर रोक लगने की वजह से रात व अहले सुबह के समय चोरी-छीपे बालू का उठाव कर संबंधित स्थल पर पहुंचाये जा रहे हैं. कुछ माह पूर्व तक 500 रुपये प्रति ट्रैक्टर मिलनेवाला बालू अब 2000 रुपये प्रति ट्रैक्टर मिल रहा है.
अवैध उठाव पर है विशेष नजर
खनन विभाग की ओर से अवैध बालू उठाव को लेकर लगातार निगरानी भी रखी जा रही है. विभाग की ओर से फरवरी में तीन, मार्च महीने में पांच व अप्रैल माह में चार ट्रैक्टर अवैध बालू का उठाव करते हुए जब्त किये गये हैं. इससे अवैध बालू उठानेवालो में हड़कंप मचा हुआ है.
क्या है मामला
खनन विभाग की ओर से गढ़वा जिले में 49 बालू घाट चिह्नित किये गये हैं, जिसमें से 19 बालू घाट की नीलामी कर ली गयी है. इनमें से कई घाट सितंबर 2015 में ही नीलाम हुए हैं. वहीं अन्य घाट में संवेदकों की रुचि नहीं होने के कारण फिर से उसकी नीलामी प्रक्रिया की जा रही है.
जिन 19 बालू घाट की नीलामी हो गयी है. उनका भी पर्यावरण क्लियरेंस सहित अन्य कई कागजात संबंधित संवेदक की ओर से जमा नहीं किया गया है. इस वजह से सभी घाटों से बालू उठाव पर रोक लगी हुई है. इधर जिला प्रशासन की ओर से बार-बार बैठकें आदि कर सरकारी योजनाओं को जल्द पूर्ण करने का दबाव बनाया जा रहा है. इससे लोगों में यह सवाल उठ रहा है कि क्या जिला प्रशासन अवैध बालू के इस्तेमाल को बढ़ावा दे रही है.
संवेदक को हो रहा है नुकसान
बालू घाट की नीलामी लेनेवाले संवेदकों को बालू उठाव का आदेश नहीं मिलने से काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. नियमानुसार नीलामी होने के समय से तीन वर्ष तक संवेदक को घाट से राजस्व उगाही करनी होगी हैै. लेकिन कागजी प्रक्रिया में सात-आठ माह बीत गये हैं.
जिले के बड़े बालू घाट खरौंधी का खोखा सोन नदी घाट, केतार सोन नदी घाट, गढ़वा का बेलचंपा घाट, कांडी का जयनगरा घाट, राणाडीह घाट, मझिआंव घाट आदि को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ रहा है. खोखा सोन नदी घाट से बालू वाराणसी व यूपी के अन्य जिलों के लिए बड़ी संख्या में प्रतिदिन ले जाया जाता है. जून के बाद कई घाट बरसात की वजह से बंद हो जायेंगे. ऐसे में नीलामी लेनेवाले को एक वर्ष की आय का नुकसान उठाना पड़ेगा.
प्रक्रिया को सरल किया जाये : विधायक
इस संबंध में विधायक सत्येंद्रनाथ तिवारी ने कहा कि बालू गरीबों के इंदिरा आवास से भी जुड़ा हुआ है. साथ ही अन्य सरकारी इमारतों की लागत बढ़ गयी है. इसलिए इस प्रक्रिया को थोड़ा सरल होना चाहिए. इस मामले में उपायुक्त से बात हुई है, जल्द ही रास्ता निकाल लिया जायेगा.

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