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12 साल से नहीं हो रहा उपयोग
4.50 लाख की लागत से अनुसूचित जाति आवासीय बालिका उवि बन कर तैयार, पर धुरकी(गढ़वा) : शिक्षा के क्षेत्र में अत्यंत पिछड़ा धुरकी प्रखंड के अनुसूचित जाति के छात्राओं के पढ़ने के लिए वित्तीय वर्ष 2003-04 में बनाया गया अनुसूचित जाति बालिका आवासीय उवि 12 साल बाद भी नहीं शुरू हो सका. इस बालिका आवासीय […]
4.50 लाख की लागत से अनुसूचित जाति आवासीय बालिका उवि बन कर तैयार, पर
धुरकी(गढ़वा) : शिक्षा के क्षेत्र में अत्यंत पिछड़ा धुरकी प्रखंड के अनुसूचित जाति के छात्राओं के पढ़ने के लिए वित्तीय वर्ष 2003-04 में बनाया गया अनुसूचित जाति बालिका आवासीय उवि 12 साल बाद भी नहीं शुरू हो सका. इस बालिका आवासीय उवि का निर्माण दशम वित्त आयोग से 4.50 लाख की राशि से कराया गया था. लेकिन इसे आज तक चालू नहीं किया जा सका.
न तो यहां किसी शिक्षको की नियुक्ति हुई और न ही एक दिन के लिए भी विद्यालय में पढ़ाई शुरू हुई. इस बीच उपयोग व रख-रखाव के अभाव में यह आवासीय विद्यालय समय के साथ जर्जर होते जा रहा है. कुछ दिनों तक और यदि यही स्थिति रही, तो यह भवन खंडहर का रूप ले सकती है.
प्रथम राज्यपाल ने किया था उदघाटन
शिक्षा के मामले में अत्यंत पिछड़े धुरकी प्रखंड की पहचान को बदलने के उद्देश्य से झारखंड राज्य के गठन होने के तुरंत बाद प्रखंड मुख्यालय में इस आवासीय बालिका छात्रावास को स्वीकृति प्रदान की गयी थी.
छात्रावास तैयार हो जाने के बाद इसका उदघाटन झारखंड प्रदेश के प्रथम राज्यपाल प्रभात कुमार के हाथों किया गया था. छात्रावास के उदघाटन के बाद स्थानीय लोगों की उम्मीद जगी थी कि अब अनुसूचित जाति की छात्राएं, जो शिक्षा से वंचित रह जाती हैं, उन्हें शिक्षा प्रदान किया जायेगा. राज्यपाल ने स्वयं सरकार के इस निर्णय की प्रशंसा करते हुए इस विद्यालय का उदघाटन किया था.
छात्राओं को शिक्षा दिलाने का सपना अधूरा
विदित हो कि यहां के सुदूर गांवों में उवि नहीं होने के कारण छात्राओं को आगे की पढ़ाई के लिए करीब आठ से 10 किमी पैदल चल कर प्रखंड मुख्यालय में पढ़ने आना पड़ता है. इसके कारण दूर गांव की छात्राएं प्राथमिक शिक्षा के बाद आगे नाम लिखाने के बजाय पढ़ाई बंद क र देती हैं.
इन्हीं समस्याओं को ध्यान में रखते हुए सरकार ने यह आवासीय विद्यालय का निर्माण कराया था. लेकिन अधिकारियों की उदासीनता की वजह से सरकार राशि खर्च कर विद्यालय बन जाने के बाद भी इसका उपयोग शिक्षा के लिए नहीं किया गया. इसके कारण अनुसूचित जाति के छात्राओं को शिक्षा दिलाने का सपना अधूरा ही रह गया.
विभाग को लिखेंगे : बीडीओ
इस संबंध में बीडीओ इजे लकड़ा ने कहा कि मुझे इस विद्यालय के विषय में जानकारी नहीं है. अगर विद्यालय का भवन बनकर तैयार है, तो यहां शिक्षकों की पदस्थापना के लिए जिला व विभाग को लिखा जायेगा.
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