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कुसंगति से नाश होता है : महंत अशोक

कुसंगति से नाश होता है : महंत अशोकफोटो – प्रवचन करते मानस रत्न अशोक दास जी.नगरऊंटारी (गढ़वा). प्रखंड के पाल्हेकला ग्राम स्थित प्राथमिक विद्यालय के परिसर में नवयुवक क्लब आयोजित चल रहे मानस कथा के चौथे दिन मानस रत्न अशोक दास जी ने कहा कुसंगति व्यक्ति का नाश कर देता है. मंथरा की कुसंगति से […]

कुसंगति से नाश होता है : महंत अशोकफोटो – प्रवचन करते मानस रत्न अशोक दास जी.नगरऊंटारी (गढ़वा). प्रखंड के पाल्हेकला ग्राम स्थित प्राथमिक विद्यालय के परिसर में नवयुवक क्लब आयोजित चल रहे मानस कथा के चौथे दिन मानस रत्न अशोक दास जी ने कहा कुसंगति व्यक्ति का नाश कर देता है. मंथरा की कुसंगति से कैकयी को कहीं का नहीं छोड़ा कैकयी न तो अपने पति की हो सकी अौर न पुत्र का. उन्होंने कहा कि जो कैकयी श्रीराम से अगाध प्रेम करती थी, वही श्रीराम को 14 वर्ष के लिए वन भेज दी. उन्होंने कहा कि कुसंगति व्यक्ति को ईश्वर से दूर कर देता है. उन्होंने कहा कि इर्ष्या की वृति है. हृदय में इर्ष्या आते ही जीवन की शांति भंग हो जाती है. उन्होंने कहा कि हमारे शास्त्र में हमेशा सत्संग के लिए प्रेरित करते हैं. कथा भास्कर आचार्य रत्नेश जी ने कहा कि श्री रामका वनवास मानस के लिए व्याकरण है. व्याकरण 14 सूत्र के आधार पर संपूर्ण शास्त्र को मर्यादित करता है. वैसे ही श्रीराम 14 वर्ष तक वन में रह कर मानव जीवन जीने को मर्यादा की शिक्षा देते हैं.

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