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आठ साल से बंद है पुल निर्माण कार्य
रमकंडा(गढ़वा) : रमकंडा थाना के कुरूमदरी गांव के पास स्थित भुतहर नदी पर 1.17 करोड़ की लागत से बननेवाला पुल का निर्माण कार्य माओवादियों के भय से पिछले आठ साल से अधूरा पड़ा हुआ है. इस पुल का शिलान्यास 13 दिसंबर 2007 को तत्कालीन विधायक गिरिनाथ सिंह ने मुख्यमंत्री ग्राम सेतु योजना के तहत किया […]
रमकंडा(गढ़वा) : रमकंडा थाना के कुरूमदरी गांव के पास स्थित भुतहर नदी पर 1.17 करोड़ की लागत से बननेवाला पुल का निर्माण कार्य माओवादियों के भय से पिछले आठ साल से अधूरा पड़ा हुआ है. इस पुल का शिलान्यास 13 दिसंबर 2007 को तत्कालीन विधायक गिरिनाथ सिंह ने मुख्यमंत्री ग्राम सेतु योजना के तहत किया था.
पुल का निर्माण कार्य भी शिलान्यास के एक महीने बाद ही शुरू हुआ. लेकिन माओवादियों ने पुल के संवेदक से पहले लेवी की मांग की. जब लेवी नहीं मिली तो माओवादियों के एक दस्ते ने निर्माणस्थल पर पहुंच कर सबसे पहले मजदूरों की पिटायी की. इसके बाद वहां कार्यरत मशीन, सेंट्रिंग सहित संवेदक के कई सामानों को जला दिया. घटना को अंजाम देने के बाद दस्ता कार्य बंद करने की चेतावनी देकर वापस लौट गया. इसके कारण करीब दो वर्षों तक काम बंद रहा. नवंबर 2010 में पुल का निर्माण कार्य पुन: शुरू हुआ. लेकिन दो महीने बाद जनवरी 2011 में माओवादियों का दस्ता ने वहां दुबारा पहुंच कर वहां कार्यरत मुंशी एवं मजदूर की पिटाई की एवं काफी देर तक बंधक बना लिया. साथ ही संवेदक का पुन: मिक्सचर मशीन, ट्रैक्टर एवं भाईव्रेटर को आग के हवाला कर दिया. माओवादियों ने निर्माणस्थल के बगल में एक घर में रखे करीब 200 बोरा सीमेंट को पानी में डाल कर उसको भी बर्बाद कर दिया. तब से आज तक निर्माण कार्य बंद पड़ा हुआ है.
क्या होती है परेशानी
जब 2007 में भुतहर नदी पर पुल का शिलान्यास किया गया था, तब ग्रामीणों को काफी आशा बंधी थी कि अब उन्हें आवागमन के लिए परेशानी दूर हो जायेगी. लेकिन आठ साल बीतने के बाद भी उनकी परेशानीय यथावत रह गयी है. करीब एक हजार की आबादी वाले कुरूमदरी गांव प्रखंड मुख्यालय व जिला मुख्यालय से कटा हुआ है. वहीं उदयपुर, चेटे, हरहे, सुली, पटसर, पुनदागा, गमरिया, चपरी, तसमार सहित दर्जनों गांव के लोगों को पलामू की ओर जाने के लिए परेशानी होती है. इस समय उन्हें 20 किमी अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ रही है. नदी पार होने के दौरान अब तक 10 लोगों की मौत हो गयी है. सबसे बड़ी परेशानी बच्चों के लिए मध्याह्न भोजन का चावल व अन्य सामान पहुंचाने में मजदूरों को होती है. उन्हें पैदल ही सारे सामान को लेकर आना पड़ता है.
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