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डोलोमाइट का डिस्पैच ठप
डिस्पैच नहीं होने का कारण भवनाथपुर से मेराल 32 किमी रेल लाइन का ठीक नहीं होना बताया जाता है भवनाथपुर(गढ़वा) : सेल आरएमडी भवनाथपुर खदान समूह के तुलसीदामर डोलोमाइट खदान के छह माह बाद खुलने के बाद डिस्पैच पर लगा ग्रहण रेल व सेल के आपसी टसल में जारी है. मजदूर व यूनियन के अथक […]
डिस्पैच नहीं होने का कारण भवनाथपुर से मेराल 32 किमी रेल लाइन का ठीक नहीं होना बताया जाता है
भवनाथपुर(गढ़वा) : सेल आरएमडी भवनाथपुर खदान समूह के तुलसीदामर डोलोमाइट खदान के छह माह बाद खुलने के बाद डिस्पैच पर लगा ग्रहण रेल व सेल के आपसी टसल में जारी है. मजदूर व यूनियन के अथक प्रयास के बाद 21 मार्च 2015 को राज्य सरकार से अनुमति मिलने के बाद तुलसीदामर डोलोमाइट खदान को खोला गया था.
खदान खुलने के बाद मजदूरों व स्थानीय लोगों में खुशी की लहर दौड़ गयी थी और लोगों को लगा था कि स्थिति पहले जैसे ही हो जायेगी. लेकिन तोड़े गये पत्थर का डिस्पैच नहीं होने से मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी भी नहीं मिल पा रही है.
डिस्पैच नहीं होने का कारण भवनाथपुर से मेराल 32 किमी रेल लाइन का ठीक नहीं होना बताया जाता है. कुछ दिन पूर्व सेल द्वारा दो रैक डिस्पैच के लिये रेल विभाग को इंडेंट भेजा था, लेकिन रेलवे ने लाइन ठीक नहीं होने की बात कह इनकार कर दिया. जबकि सेल प्रबंधन अपने रेल लाइन को पूरी तरह से दुरुस्त बता रहा है. बात नहीं बनने पर हालात यहां तक पहुंच गया है कि उत्खनन किये गये पत्थरों का डिस्पैच बाधित हो गया है. सूत्र बताते हैं कि दो-तीन दिन बाद मालगाड़ी आने वाली है. इसके पूर्व गुरुवार को ट्रायल के लिए इंजन आया था. इधर माल के डिस्पैच नहीं होने से खदान से उठाव पर असर पड़ रहा है. बताते चलें कि पुराने ठेकेदारों द्वारा साइडिंग पर पत्थर जाम लगाया गया है. जिसके कारण नये ठेकेदारों को पत्थर रखने में परेशानी हो रही है.
जब तक पत्थरों का उठाव व डिस्पैच नहीं होगा तब तक ठेकेदारों का भुगतान भी नहीं होगा, जिसके कारण मजदूरों की मजदूरी का भुगतान बाधित हो रहा है. इससे दोनों विभाग को करोड़ों रुपये के नुकसान होने की आशंका है. उल्लेखनीय है कि 12 सितंबर 2014 को लीज नवीनीकरण नहीं होने के कारण खदान को बंद कर दिया गया था.
इधर इंटक यूनियन के संयुक्त सचिव प्रदीप चौबे ने कहा कि प्रबंधक के नकारात्मक सोच के कारण डिस्पैच नहीं हो रहा है. एटक नेता गणोश सिंह ने कहा कि प्रबंधन जल्द डिस्पैच कराये, नहीं तो मजदूरों द्वारा तोड़े गये पत्थरों का भुगतान कराये. मजदूरों ने भी कहा कि उनका भुगतान नहीं किया जाता है तो वे आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे.
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