गढ़वा : सरकार एक तरफ किसानों की आय दोगुनी करने की बात कर रही है, लेकिन दूसरी तरफ किसानों का कृषि उत्पाद नहीं खरीदा जा रहा है़ इस साल अभी तक धान क्रय केंद्र नहीं खुलने के कारण किसान औने-पौने दाम पर अपना धान बेचने को मजबूर है़ं प्रत्येक साल एक दिसंबर से धान की खरीद शुरू कर दी जाती है़ लेकिन इस साल आचार संहिता लागू रहने का कारण निर्धारित समय से धान की खरीद शुरू नहीं हुई. आचार संहिता समाप्त हुए 10 दिन हो चुके है़ं इसके बावजूद अभी तक इस ओर से प्रशासनिक सुगबुगाहट देखने को नहीं मिल रही है़
जिले के काफी संख्या में किसान ने मेहनत से उगाये हुए धान को बिचौलियों व व्यापारियों के हाथों बेच दिया है़ जनवरी माह शुरू हो गया, लेकिन अभी तक धान की खरीदारी शुरू नहीं हो सकी है. इस संबंध में किसान सुरेंद्र पांडेय, अशोक वर्मा, विद्यासागर तिवारी, प्रदीप तिवारी, अजय प्रजापति, दीपक ठाकुर, प्रेमचंद तिवारी, द्रौपदी कुंवर, कामेश्वर चौबे, जितेंद्र सिंह, कामेश्वर ठाकुर, संजय प्रजापति का कहना है कि अभी तक धान क्रय केंद्र नहीं खुला है. इससे उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. यद्यपि देर से धान का क्रय किये जाने की वजह से किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है़
बताया गया कि पिछली बार की अपेक्षा इस बार धान की उपज ज्यादा हुई है़ ऐसे में किसान करीब डेढ़ माह तक धान का भंडारण कर रखे हुए है.
प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना व मुख्यमंत्री कृषि आशीर्वाद योजना की वजह से भी किसानों का खेती की ओर रुझान बढ़ा है़ जानकारी के अनुसार पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष भी धान की खरीदारी एफसीआइ के माध्यम से की जानी है. लेकिन एफसीआइ धान की खरीदारी करने के लिए सरकारी आदेश के इंतजार में हैं. कयास लगाया जा रहा था कि विधानसभा चुनाव के बाद धान की खरीदारी की जायेगी. लेकिन सरकार अभी तक किसी प्रकार का आदेश जारी नहीं की है, जिसका खामियाजा किसानों को उठाना पड़ रहा है.
उल्लेखनीय है कि गढ़वा जिले में धान बेचने के लिए 6773 किसान निबंधित है़ं इनमें से बीते साल 2018-19 में 3619 किसानों ने धान की बिक्री की थी़ यह कुल निबंधित किसानों का आधा है. कुल निबंधित किसानों में से 3154 किसानों ने धान नहीं बेचा था.