हेरहंज, बालूमाथ, व चंदवा उसका कार्यक्षेत्र रहा था. वर्ष 2011-12 में वह संगठन छोड़कर राज्य के बाहर कमाने चला गया. 2015 में वापस आया तो पूर्व की बातों व घटना ने उसका पीछा नहीं छोड़ा. अंतत: सरकार की नीति से प्रभावित होकर वह सरेंडर कर रहा है. उसने समाज से भटके सभी भाइयों को मुख्यधारा में आने की अपील भी की है.
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टीएसपीसी के पूर्व एरिया कमांडर ने किया सरेंडर
चंदवा : टीएसपीसी के पूर्व एरिया कमांडर रंजीत गंझू उर्फ उमेश गंझू ने मंगलवार को चंदवा पुलिस के समक्ष आत्म समर्पण कर दिया. वह हेरहंज थाना क्षेत्र के बिदिर गांव निवासी बलदेव गंझू का पुत्र है. समर्पण के मौके पर बीडीओ देवदत पाठक, पुलिस निरीक्षक सह थानेदार कमलेश्वर पांडेय, हेरहंज थाना प्रभारी सनोज चौधरी व […]
चंदवा : टीएसपीसी के पूर्व एरिया कमांडर रंजीत गंझू उर्फ उमेश गंझू ने मंगलवार को चंदवा पुलिस के समक्ष आत्म समर्पण कर दिया. वह हेरहंज थाना क्षेत्र के बिदिर गांव निवासी बलदेव गंझू का पुत्र है. समर्पण के मौके पर बीडीओ देवदत पाठक, पुलिस निरीक्षक सह थानेदार कमलेश्वर पांडेय, हेरहंज थाना प्रभारी सनोज चौधरी व विशेष शाखा के इंस्पेक्टर आर पूर्ति मौजूद थे. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि 2006 में वह संगठन से जुड़ा था. इसके बाद 2011-12 में वह पार्टी छोड़कर राज्य से बाहर कमाने चला गया था. सरकार की आत्म समर्पण व पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर उसने सरेंडर किया है.
पुलिस ने बताया कि रंजीत हेरहंज के व्यवसायी स्व सुजीत जायसवाल (कांड संख्या 13/10) व शेरेगढ़ा (बालूमाथ) निवासी मुन्ना गुप्ता (कांड संख्या 85/10) की हत्या में शामिल था. बालूमाथ में कांड संख्या 85/10 व 75/11 के अलावा व हेरहंज थाना कांड संख्या 10/10, 11/10, 14/10, 21/12 में उसने अपनी संलिप्तता स्वीकारी है. पुनि श्री पांडेय ने बताया कि सरेंडर पॉलिसी के तहत मिलने वाली सारी सुविधा के लिये सरकार को पत्र प्रेषित किया जायेगा.
खोयी जमीन पाने के लिये बना उग्रवादी
सरेंडर के बाद रंजीत ने बताया कि वह 2006 में संगठन के संस्थापक मुरारी जी के संपर्क में आया था. उनके साथ ही वह संगठन के बाल दस्ते में शामिल हो गया था. माओवादी कमांडर गोपाल जी द्वारा उसके जमीन विवाद के कारण वह संगठन में आया. उसके भाई नीरू गंझू की हत्या माओवादियों ने कर दी थी. उसकी जमीन पर भी गोपाल जी ने कब्जा जमाया था. इसका बदला लेने के लिये वह संगठन में आया. उसने कहा कि संगठन में आते ही वह सबजोनल कमांडर मनीष जी की देख-रेख में एरिया कमांडर बना.
हेरहंज, बालूमाथ, व चंदवा उसका कार्यक्षेत्र रहा था. वर्ष 2011-12 में वह संगठन छोड़कर राज्य के बाहर कमाने चला गया. 2015 में वापस आया तो पूर्व की बातों व घटना ने उसका पीछा नहीं छोड़ा. अंतत: सरकार की नीति से प्रभावित होकर वह सरेंडर कर रहा है. उसने समाज से भटके सभी भाइयों को मुख्यधारा में आने की अपील भी की है.
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