चाकुलिया : डुमरिया और ढेंगबोड़ा रेल फाटक के बीच अप ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस दुर्घटना ग्रस्त होने से बाल -बाल बच गयी. छह अगस्त की रात 1.24 बजे तेज रफ्तार से आ रही ज्ञानेश्वरी से एक शिशु हाथी टकरा गया. उसका शव इंजन में फंस गया. वहीं दो हाथी ट्रेन से टकरा गये. एक हाथी बिजली के […]
चाकुलिया : डुमरिया और ढेंगबोड़ा रेल फाटक के बीच अप ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस दुर्घटना ग्रस्त होने से बाल -बाल बच गयी. छह अगस्त की रात 1.24 बजे तेज रफ्तार से आ रही ज्ञानेश्वरी से एक शिशु हाथी टकरा गया. उसका शव इंजन में फंस गया. वहीं दो हाथी ट्रेन से टकरा गये. एक हाथी बिजली के खंभा को तोड़ता हुआ अप रेल लाइन के किनारे जा गिरा. वहीं दूसरा हाथी अप और डाउन रेल ट्रैक के बीच गिरा और दम तोड़ दिया. यह एक संयोग ही था कि ट्रेन के इंजन से कोई बड़ा हाथी नहीं टकराया.
शिशु हाथी इंजन से टकराया और उसके चिथड़े उड़ गये. शव इंजन के चक्कों के पास फंस गया और करीब 200 मीटर तक ट्रेन उसे घसीटते हुए ले गयी. इसके बाद ट्रेन खड़ी हो गयी. इंजन में आयी खराबी के कारण डीजल इंजन के सहारे ट्रेन को रवाना किया गया.
रेल लाइन से सटे राजाबासा जंगल में शरणागत 18 हाथी भी सुरक्षित नहीं
घाटशिला अनुमंडल में कई जगह जंगल के बीच से गुजरती है लाइन
सुनसुनिया जंगल से संलग्न हैं राजाबासा व जामुआ के घने साल जंगल
पिछले कई दिनों से इन जंगलों में शरणागत हैं 18 जंगली हाथी
अवैध खनन व वनों के विनाश से गांवों में घुसने लगे हैं हाथी
एलिफेंट कॉरिडोर बन जाता, तो नहीं भटकते हाथी
रेलवे व वन विभाग ने समन्वय नहीं बनाया
ट्रेन से टकराकर होने वाली मौत को लेकर कई बार बैठकें हो चुकी हैं. रेलवे व वन विभाग ने संयुक्त रूप से कार्य योजना तो बनायी, लेकिन योजना धरातल पर नहीं उतरी. इलेक्ट्रिक फेंसिंग का कार्य कुछ क्षेत्र में किया गया था, लेकिन वह भी कारगर नहीं रहा. वन विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, हाथी अपनी दांतों से इलेक्ट्रिक फेंसिंग को उखाड़ कर उस एरिया को पार कर जाते हैं. इस कारण ऐसे हादसे होते हैं क्योंकि हाथियों के पूरे शरीर में तो करंट लगता है, लेकिन दांत में करंट नहीं लगता है.