मुसाबनी : प्रखंड के सबर-बिरहोर के लिए चलायी जा रही कल्याणकारी योजनाएं फिसड्डी साबित हो रही है. आज भी कई बिरहोर-सबर आवास विहीन है. वहीं वर्षों पूर्व बने इंदिरा आवासों में जान जोखिम में डाल कर रह रहे हैं. टुमांगकोचा, छोलागोड़ा, धीभांगा, गायघाटा, सितुमपाल के कई सबर तथा बिरहोर झोपड़ी युग में जी रहे हैं.
सबर-बिरहोरों के लिए बनाये जा रहे कई बिरसा आवास की राशि बिचौलिया गटक गये और आवास अधूरा है. वर्षों से आवास की आस में सबर-बिरहोर दूसरो के बरामदे में तथा झोपड़ी में रात गुजारने को मजबूर हैं, कई आजजा परिवार मुख्यमंत्री डाकिया खाद्यान्न योजना के लाभ तथा सामाजिक पेंशन योजना समेत तमाम सरकारी योजनाओं से वंचित हैं. आजजा के लोगों का आजीविका का सहारा जंगल है. टुमांगकोचा की सुकमती बिरहोर (85) अपने परिवार के साथ टूटी फूस की झोपड़ी में इस ठंड में रात गुजारने को विवश है. उसे पेंशन भी नहीं मिलती.