उपेक्षा . एप्रोच पथ के आभाव में कोयापहाड़ी के परेशान ग्रामीण पूछ रहे सवाल
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एप्रोच नहीं बनवाना था, तो पुल क्यों बनवाया
उपेक्षा . एप्रोच पथ के आभाव में कोयापहाड़ी के परेशान ग्रामीण पूछ रहे सवाल दुमका : दुमका जिले के जामा प्रखंड के बारा पंचायत के कोयापहाड़ी गांव में लाखों रुपये की लागत से आठ साल पहले बनवाया गया पुल बेकार साबित हो रहा है. इस पुल का कोई उपयोग नही हो पा रहा है. पुल […]
दुमका : दुमका जिले के जामा प्रखंड के बारा पंचायत के कोयापहाड़ी गांव में लाखों रुपये की लागत से आठ साल पहले बनवाया गया पुल बेकार साबित हो रहा है. इस पुल का कोई उपयोग नही हो पा रहा है. पुल के दोनो ओर अब तक एप्रोच नहीं बनाया गया है. ऐसे में आज भी गांव के लोगों को आने-जाने के लिए जोरिया पार करना पड़ता है. बरसात के दिनों में स्थिति और भी नरकीय हो जाती है. उस वक्त पानी अधिक रहने की वजह से लोगों को आने-जाने में काफी दिक्कत होती है.
साठ-पैंसठ घर हैं गांव में : कोयापहाड़ी गांव में 60-65 घर है. गांव के बच्चे पढ़ने के लिए बारापलासी स्थित हाई स्कूल जाते हैं, जिसकी दूरी भी काफी अधिक है. ऐसे में उन्हें इसी जोरिया को पार करना पड़ता है.
आठ साल पहले बना था पुल ग्रामीण नहीं कर पा रहे प्रयोग
कोयापहाड़ी में 2008 में बना पुल. कुछ इस कदर जोरिया पार करते हैं लोग.
मिट्टी भराने से भी पुल का होगा उपयोग
पुल के दोनो छोर पर मिट्टी की भी भराई अगर प्रशासनिक स्तर पर कर दी जाय, तो इस पुल का उपयोग शुरु हो जायेगा. लंबे समय से पुल का उपयोग नहीं होने तथा सही ढंग से प्लास्टर नहीं होने की वजह से इसके छड़ भी अब बाहर झांकने लगे हैं.
तातलोई के पास है कोयापहाड़ी
कोयापहाड़ी गांव तातलोई के पास है. तातलोई अलग-अलग उष्णता वाले गर्म जलकुंड के लिए विख्यात है. कोयापहाड़ी के पास बने पुल में एप्रोच अगर बन जायेगा, तो यह गांव बारापलासी-ठाड़ीहाट-नकटी-पतसर जैसे गांवों से भी जुड़ जायेगा.
क्या कहते हैं लोग
इस पुल का निर्माण जिला परिषद् से ही 2008 में हुआ था. पुल का एप्रोच नहीं बन पाने के मुद्दे को हाल ही में जिप सदस्य ने भी उठाया था. जिला परिषद इस मामले में बेहद गंभीर भी है. मैं खुद भी प्रयास कर रहा हूं कि उस गांव के लोगों की तकलीफ को दूर करा सकूं. पुल बना है, तो एप्रोच बनने में इतना विलंब कतई उचित नही है.
असीम मंडल, उपाध्यक्ष, जिला परिषद.
बहुत परेशानी होती है इस गांव से आने-जाने में. जोरिया में पानी रहता है. बच्चे-बीमार लोगों को लाने-ले जाने में तकलीफ होती है. पुल को रास्ते से जोड़ दिया जाता, तो अच्छा होता.
पानमुनी हेंब्रम, महिला
पुल के निर्माण के कई साल गुजर चुके हैं. बिना एप्रोच के इस पुल का निर्माण महज ढकोसला ही साबित हो रहा है. लाखों खर्च के बाद अगर चवन्नी भर भी लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल रहा है तो ऐसी योजना का क्रियान्वयन का कोई औचित्य ही नही है. संबंधित जन प्रतिनिधि भी इस ओर उदासीन है.
प्रेम कुमार साह, प्रखंड अध्यक्ष, कांग्रेस
पुल बने कई साल से देख रहे हैं. आज तक इसका कोई उपयोग ही नहीं हुआ. पता नहीं क्या सोंचकर इसको बनवाया गया था. पुल से रास्ते को जोड़ा जाता, तो बहुत सुविधा होती.
ब्रेंतियुस टुडू, छात्र
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