दुमका : प्रांतीय यादव महासभा के द्वारा उपराजधानी में धूमधाम से योगेश्वर श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव वामा प्रसाद यादव की अध्यक्षता में मनाया गया. श्री यादव ने कहा कि श्रीकृष्ण का अवतरण मानवता के लिए क्रांतिकारी घटना थी. श्रीकृष्ण का दर्शन समग्र जीवन के लिए संजीवनी है. कर्मयोग एवं निष्काम का प्रेरणास्त्रोत है.
श्रीकृष्ण का व्यक्तित्व बहुरंगी था, सार्वभौम था. वे अदभुत थे. भले ही धरा में पूर्ण अवतार के रुप में आये थे, पर दुख के महासागर में अकेले धर्म को परम गहराइयों से मानव के समक्ष प्रस्तुत कर मुक्ति का मार्ग दिखाया. दिवाकर महतो ने कहा कि श्रीकृष्ण के बगैर मानव ऊर्जारहित होगा. जीवन के साश्वत मूल्यों का ह्रास हो जायेगा. श्रीमती चंद्राणी ने कहा कि जब-जब धर्म का ह्रास और न्याय को जीवन से हटते पाया,
तो श्रीकृष्ण ने जन्म लेकर मानवता की रक्षा की. वे समाज सुधारक थे. जीवन में कर्म करने, शरणागत की रक्षा करने के लिए तत्पर श्रीकृष्ण के प्रति अपने जीवन को समर्पित करना ही मोक्ष का मार्ग है. स्वामी विश्वरुप ने गीता को विश्व का श्रेष्ठ ग्रंथ बताते हुए विश्वभर में श्रीकृष्ण भक्तों की उपस्थिति को रेखांकित किया. उन्होंने भारतीय भावलोक में श्रीकृष्ण के इंद्रधनुषी रुप-रंग की व्याख्या की. अनंत लाल खिरहर ने कहा कि भक्तों ने श्रीकृष्ण को अलग-अलग रूपों में वर्णित किया. किसी ने उन्हें माखनचोर, किसी ने रास रचैया, गोवर्द्धनधारी बताया.
वे अर्जुन के सारथी थे तो द्रौपदी के सखा. अतुल्य चंद्र महतो एवं रघुपति महतो ने भी अपने विचारों को रखा. देर शाम गौरकांत झा के निर्देशन में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये गये. मौके पर काशीनाथ महतो, विश्वजीत यादव, भागीरथ यादव, वनमाली यादव, ज्योतिंद्र महतो, बिहारी यादव, शिवनारायण दर्वे, विनोद कुमार यादव, अशोक महतो, शंकर यादव, भुवन यादव, दयामय मांझी आदि मौजूद थे.