बासुकिनाथ : महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर भगवान शिव की पूजा से अनंत सुख-समृद्धि एवं पुण्य की प्राप्ति होती है. यह व्रत अनंत फलदायी मानी जाती है. शिवार्चन व जागरण ही व्रत की विशेषता है. इस व्रत में रात्रि के चारों प्रहरों में भगवान शिव का अभिषेक व भक्तिपूर्वक पूजन करने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं. मान्यता है कि जो भक्त इस दिन उपवास रखकर विधि पूर्वक पूजा-अर्चना करते हैं. वह भगवान शिव को प्रसन्न कर लेता है.
महाशिवरात्रि में जागरण के साथ ही रात्रि के चारों प्रहरों में भगवान शिव का पंचामृत से स्नान कर चंदन, पुष्प, अक्षत, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, धूप, दीप और नवैद्य आदि से पूजा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. पंचोपचार, षोडशोपचार से पूजन कर शिव पंचाक्षर ‘नम: शिवाय’, रूद्रीपाठ व रूद्राष्टाध्यायी के पाठ से भगवान शिव का जलाभिषेक करना अनंत फलदायी मानी जाती है. भोलेनाथ अर्धनारीश्वर होकर भी काम विजेता, गृहस्थ होकर भी परम विरक्त, नीलकंठ होकर भी विष रहित, उग्र होते हुए भी सौम्य, अकिंचन होते हुए भी सर्वेश्वर हैं. महाशिवरात्रि के अवसर पर भगवान शिव की पूजा से अनंत सुख-समृद्धि एवं पुण्य की प्राप्ति होती है.