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जैविक खेती को मिले बढ़ावा

– वर्षा जल का भी हो संचयन दुमका : दुमका के सिदो कान्हू इंडोर स्टेडियम में आयोजित बजट पूर्व संगोष्ठी में भाग लेने के लिए संताल परगना के विभिन्न जिलों से समाजसेवी, शिक्षाविद्, बुद्धिजीवी, कृषक, महिला एवं छात्र प्रतिनिधियों के अलावा व्यावसायिक वर्ग के भी लोग जुटे. संगोष्ठी में दुमका, देवघर, जामताड़ा, गोड्डा, साहिबगंज तथा […]

– वर्षा जल का भी हो संचयन
दुमका : दुमका के सिदो कान्हू इंडोर स्टेडियम में आयोजित बजट पूर्व संगोष्ठी में भाग लेने के लिए संताल परगना के विभिन्न जिलों से समाजसेवी, शिक्षाविद्, बुद्धिजीवी, कृषक, महिला एवं छात्र प्रतिनिधियों के अलावा व्यावसायिक वर्ग के भी लोग जुटे.
संगोष्ठी में दुमका, देवघर, जामताड़ा, गोड्डा, साहिबगंज तथा पाकुड़ जिले से समाज के विविध क्षेत्रों से आये प्रतिनिधियों ने ग्रामीण विकास, कृषि उन्नयन, सिंचाई, रोजगार, लघु एवं कुटीर उद्योग की स्थापना, महाविद्यालय, चिकित्सा एवं तकनीकी महाविद्यालय की स्थापना, पर्यावरण, स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला सशक्तिकरण, समाज कल्याण सांस्कृतिक धरोहरों की सुरक्षा, पर्यटन, सड़क, वर्षा जल संचयन, मजदूरों के पलायन पर रोक, परिवार से ठुकराये हुए महिलाओं एवं अनाथ बच्चों के लिए आश्रय गृह की स्थापना, कृषि प्रसंस्करण संयंत्रों की स्थापना, आदिम जनजातियों के विकास आदि से संबंधित कई गंभीर सुझाव दिये. दुमका जिला में कृषि के क्षेत्र में काम करने वाली स्वयंसेवी संस्था एग्रेरियन एसिस्टेंस एसोसियेशन के सचिव सत्येन्द्र कुमार सिंह ने जैविक कृषि को बढ़ावा देने के लिए बजटीय प्रावधान पर बल दिया. उन्होंने कहा कि पहाड़ियों के विकास के लिए पूर्व में प्रमंडलस्तरीय समिति सक्रिय थी, लेकिन आज उसे सशक्त बनाने की आवश्यकता है. पहाड़िया कैसे जागरूक बने, इस पर सरकार व प्रशासन को ध्यान देना होगा.
पूर्व प्रति कुलपति डॉ प्रमोदिनी हांसदा ने डायन प्रताड़ना व मानव तस्करी जैसी समस्याओं के निवारण के लिए जागरुकता लाने तथा चिकित्सा सेवा को बेहतर बनाने के लिए नर्सिंग कॉलेज खोले जाने की आवश्यकता की बात कही, तो अर्थशास्त्र के वरीय शिक्षक डॉ बीके ठाकुर ने शिक्षा को बढ़ावा देने तथा खेती को सुदृढ़ करने के लिए विशेष बजटीय प्रावधान पर बल दिया. वहीं चैम्बर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज के प्रतिनिधि के रूप में सियाराम घिड़िया ने फूड प्रोसेंसिंग पर बल दिया. उन्होंने कहा कि संताल परगना में कई तरह के कृषि उपज हैं, लेकिन उसका प्रोसेसिंग प्लांट नहीं रहने से किसानों को उपज की पूरी कीमत नहीं मिल पाती है.
आदिवासी महिला सुशीला हेम्ब्रम ने कहा कि सरकार उन पंचायतों को पुरस्कृत करें, जो पर्यावरण संरक्षण तथा जल, जंगल व जमीन बचाने के लिए सक्रिय है. उन्होंने एकल पहाड़िया महिला और अनाथ बच्चों के लिए सामाजिक सुरक्षा योजना आरंभ करने की जरूरत पर ध्यान दिया. पहाड़िया मंगला देहरी ने कहा कि आदिम जनजाति वर्ग के लोग गरीब हैं.
उनके पास पूंजी नहीं है. सरकार पूंजी का प्रावधान करे, ताकि वे बीज खरीद सकें. खेतीबाड़ी कर सकें. अरहर, बाजरा, गुंदली, देशी धान, कुरसा-घंघरा की बीज भी उपलब्ध करवाने पर उन्होंने ध्यान दिलाया और इसके लिए भी प्रावधान करने की बात कही. दुमका से लकी लावण्य और मो शरीफ ने भी अपने विचार रखे.

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